विटामिन B12 शरीर के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है जो खून, दिमाग और नर्वस सिस्टम को सही रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का सही प्रवाह बना रहता है और कमजोरी या एनीमिया जैसी समस्या नहीं होती। विटामिन B12 दिमागी सेहत को सपोर्ट करता है, यानी याददाश्त, फोकस, मूड और न्यूरोलॉजिकल फंक्शन को मजबूत बनाता है। ये विटामिन DNA सिंथेसिस में भी हिस्सा लेता है, जिससे सेल्स की ग्रोथ और रिपेयर अच्छे से होते हैं। हेल्दी ब्रेन, एनर्जी लेवल, इम्युनिटी और हार्मोन बैलेंस बनाए रखने के लिए विटामिन B12 बेहद जरूरी है। नसों को प्रोटेक्ट करने वाला मायलिन शीथ भी B12 की वजह से मजबूत रहता है, इसलिए इसकी कमी होने पर हाथ-पैर में झनझनाहट, सुन्नपन और कमजोरी दिखने लगती है।

बॉडी और ब्रेन के लिए जरूरी ये विटामिन हमारी बॉडी खुद नहीं बनाती बल्कि ये हमें डाइट से मिलता है। शाकाहारी लोगों में इस विटामिन की कमी ज्यादा होती है, क्योंकि बॉडी के लिए जरूरी ये विटामिन मांसाहारी फूड में पाया जाता है। लेकिन सभी की बॉडी इस विटामिन को पूरी तरह अवशोषित नहीं कर पाती है। जिन लोगों के पेट में कम एसिड बनता है, बुजुर्गों की बॉडी में, शाकाहारी, पेट और आंत की बीमारी वाले लोगों में डाइट से इस विटामिन की भरपाई नहीं होती। ऐसे लोग सप्लीमेंट लेने पर ही नॉर्मल B12 लेवल बनाए रख पाते हैं।

बॉडी में विटामिन बी 12 की कमी होने पर सिर्फ बॉडी पर ही इसका असर नहीं दिखता बल्कि ब्रेन पर भी इसका असर दिखता है। जिन लोगों की बॉडी में बी 12 की कमी होती है उनकी मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है। ऐसे लोगों को भूलने की बीमारी होने लगती है। आइए जानते हैं कि बी 12 की कमी कैसे याददाश्त कमजोर करती है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।

बी 12 की कमी कैसे याददाश्त कमजोर करती है?

विटामिन B12 की कमी से याददाश्त पर सीधा प्रभाव पड़ता है। B12 दिमागी नसों को मजबूत बनाने, न्यूरोट्रांसमीटर को बैलेंस रखने और ब्रेन फंक्शन को एक्टिव रखने में मदद करता है। इसकी कमी से ब्रेन सेल्स कमजोर होने लगते हैं, जिससे भूलने की आदत, कन्फ्यूजन और ध्यान कम लगना जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। yalemedicine में प्रकाशित खबर के मुताबिक कुछ अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन B12 का स्तर कम होने पर संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट (cognitive decline) और डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन इस संबंध में सबूत अभी पूरी तरह पक्के नहीं हैं।

येल मेडिसिन में एलर्जिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. सोफर जो स्मायलो कैंसर हॉस्पिटल के इंटीग्रेटिव मेडिसिन में डाइटरी सप्लिमेंट्स के सुरक्षित उपयोग पर काम कर रहे हैं ने बताया भले ही विटामिन सप्लिमेंट बिना प्रिस्क्रिप्शन के आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन किसी भी विटामिन सप्लीमेंट को हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। डॉ. सोफर कहते हैं यह समझना भी जरूरी है कि भले ही B12 की कमी दिमागी क्षमता में गिरावट में योगदान दे सकती है, लेकिन यह डिमेंशिया का एकमात्र कारण नहीं है। डिमेंशिया एक जटिल स्थिति है, जिसमें कई कारक शामिल होते हैं जैसे जेनेटिक्स, जीवनशैली और अन्य चिकित्सीय स्थितियां।

बॉडी में विटामिन बी 12 की कमी को कैसे करें पूरा

डाइटरी गाइडलाइंस फॉर अमेरिका के मुताबिक लोगों को ज्यादातर पोषक तत्व भोजन और पेय पदार्थों से ही लेना चाहिए। हालांकि B12 सप्लीमेंट आमतौर पर नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन इसकी मात्रा का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। हालांकि इसकी अधिक मात्रा वाली गोलियां आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती हैं, लेकिन शरीर इनमें से केवल एक बहुत छोटा हिस्सा ही अवशोषित कर पाता है।

डाइट से शरीर में विटामिन B12 की कमी को पूरा करने के लिए आप बीफ, चिकन, मछली, अंडे और दूध जैसे पशु-आधारित खाद्य पदार्थों को नियमित रूप से अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, फोर्टिफाइड ब्रेड, सीरियल, प्लांट-बेस्ड मिल्क जैसे सोया या बादाम का दूध और न्यूट्रिशनल यीस्ट भी B12 के महत्वपूर्ण स्रोत माने जाते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो शाकाहारी हैं।

विटामिन B12 का अवशोषण बढ़ाने के लिए पेट का हेल्दी होना भी जरूरी है, क्योंकि यह विटामिन शरीर में तभी सही से अवशोषित होता है जब पेट में पर्याप्त इंट्रिन्सिक फैक्टर और स्टमक एसिड बन रहा हो। उम्र बढ़ने, पेट की दवाओं, गैस्ट्रिक समस्याओं या वेज डाइट के कारण B12 का लेवल गिर सकता है, ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है।

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