आज के समय में यूरिक एसिड की परेशानी बेहद आम हो गई है। यही वजह है कि आज बुजुर्गों के साथ-साथ युवा भी जोड़ों में दर्द, सूजन या ऐंठन से परेशान रहने लगे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स इसके पीछे खराब खानपान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी को अहम कारण बताते हैं।

क्या होता है यूरिक एसिड?

यूरिक एसिड दरअसल एक अपशिष्ट बायप्रोडक्ट है। ये प्यूरीन नामक रयासन के टूटने पर शरीर में बनता है। वहीं, प्यूरीन कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इसके अलावा अनहेल्दी लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी में कमी के चलते भी ये समस्या अधिक बढ़ने लगती है। वहीं, आमतौर पर किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर कर पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर कर देती हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में होने पर किडनी भी इसे फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती हैं।

क्या है यूरिक एसिड की नॉर्मल रेंज?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वयस्क महिलाओं में 2.5 से 6 mg/dL और वयस्क पुरुषों में 3.5 से 7 mg/dL तक यूरिक एसिड का लेवल नॉर्मल होता है। इससे अधिक मात्रा में होने पर ये व्यक्ति को कई तरह से नुकसान पहुंचाने लगता है। हाई यूरिक एसिड की मात्रा को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है। वहीं, हाइपरयूरिसीमिया की स्थिति में यूरिक एसिड बॉडी के छोटे ज्वाइंट्स में क्रिस्टल के रूप में जमा होना शुरू हो जाता है। इसके चलते हड्डियों के बीच में गैप बढ़ जाता है और हड्डियां बेहद कमजोर होने लगती हैं। इन सब के चलते पीड़ित को जोड़ों में तेज दर्द, अकड़न, सूजन और गाउट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, हाई यूरिक एसिड का खराब असर किडनी पर भी पड़ता है।

क्या ये आजीवन रहने वाली बीमारी है?

हाई यूरिक एसिड से परेशान रहने वाले लोगों का अक्सर सवाल होता है कि क्या मधुमेह यानी डायबिटीज की तरह ये बीमारी भी आजीवन रहती है? ऐसे में आपको बता दें कि यूरिक एसिड की स्थिति डायबिटीज से पूरी तरह अलग है, साथ ही सही इलाज के साथ इसे पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है। हालांकि, अलग-अलग लोगों में इस समस्या को ठीक करने में समय अलग सकता है।

आसान भाषा में कहें, तो ये मरीज की कंडीशन के ऊपर भी डिपेंड करता है। पीड़ित व्यक्ति के शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा जितनी अधिक होगी, उससे निजात पाने में उतना ही समय लग सकता है। वहीं, इस दौरान पीड़ितों को दवाओं के साथ-साथ कुछ चीजों के सेवन से पूरी तरह परहेज करने की सलाह भी दी जाती है। खासकर एक्सपर्ट्स इस स्थिति में प्यूरीन युक्त खाद्य पथार्थों से पूरी तरह दूरी बनाने की सलाह देते हैं। इनमें भी खासतौर पर मीट, सीफूड, गोभी, मशरूम, ज्यादा फैट वाला दूध, राजमा, सूखे मटर और पालक खाने से बचना चाहिए। इस तरह के भोजन में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा शराब और मीठे से बनाएं दूरी बनाने की सलाह भी दी जाती है।

शराब का सेवन बॉडी को डिहाइड्रेट करने का काम करता है जिसकी वजह से किडनी की फंक्शनिंग में परेशानी होती है। ऐसे में किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर नहीं कर पाती हैं और इससे परेशानी अधिक बढ़ने लगती है। वहीं, मीठी चीजों में भी प्यूरीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में इनका सेवन हानिकारक साबित हो सकता है।

इन कुछ बातों को ध्यान में रखकर और सही दवाओं के साथ हाई यूरिक एसिड की स्थिति को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।