हम दिन भर घर से बाहर रहते हैं ऐसे में स्किन का बचाव करने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं। सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों (UV) से बचाव होता है। यूवी विकिरणों के कारण स्किन झुर्रीदार, काली या जल जाती है। लम्बे समय तक बहुत ज्यादा संपर्क में आने से स्किन कैंसर हो सकता है। ये पराबैंगनी विकिरण आपकी स्किन की सबसे बाहरी परतों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे सन स्पॉट, टैनिंग, सनबर्न और स्किन पर फफोले हो सकते हैं, जिससे स्किन कैंसर हो सकता है।

धूप में निकलने से हाइपरपिग्मेंटेशन, एलर्जी, टैन, फाइन लाइन्स जैसी समस्याएं हो जाती हैं जिनसे बचाव करने के लिए हम सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं।  स्किन का यूवी किरणों से बचाव करने के लिए सनस्क्रीन बेहद जरूरी है। लेकिन एक हालिया रिसर्च के मुताबिक रोजाना सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

सनस्क्रीन से कौन से कैंसर से करता है बचाव

अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव के लिए सनस्क्रीन जरूरी है, अगर नहीं लगाएंगे तो इससे मेलेनोमा और स्क्वैमस जैसी स्किन कैंसर की बीमारी का खतरा रहता है। इस बात के पुख्ता प्रमाण है कि सनस्क्रीन कैंसर से बचाव करता है खासकर उन जगहों पर जहां सूरज की रोशनी बहुत ज्यादा रहती है। वहीं इसमें मेलेनिन पिगमेंट कम बनता है उनके लिए सनस्क्रीन तो एकदम जरूरी है।

क्या सनस्क्रीन से कैंसर का खतरा बढ़ता है?

वैलिज़्योर ने रिसर्च में कई सनस्क्रीन प्रोडक्ट में कार्सिनोजेन बेंजीन की मात्रा ज्यादा होने का पता लगाया है और एफडीए (Food and Drug Administration) से कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। हालिया स्टडी में सनस्क्रीन में बेजिन की उपस्थिति के बारे में पता लगाया गया है सनस्क्रीन पर किए गए अध्ययन के मुताबिक सनस्क्रीन क्या सचमुच फायदे से ज्यादा स्किन को नुकसान पहुंचाता है। रिसर्च के मुताबिक कुछ सनस्क्रीन में कार्सिनोजेन बेंजीन की मात्रा होती है।  कुछ सनस्क्रीन में बेंजीन की मात्रा ज्यादा होती है जो चिंता का विषय है। बेंजीन एक तरह का टॉक्सिन है, जो कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन बाज़ार में उपलब्ध सभी सनस्क्रीन में इस घटक की ज्यादा मात्रा मौजूद नहीं होती। हालांकि ज्यादातर सनस्क्रीन का सुरक्षा की दृष्टि से परीक्षण किया जाता है।

आपको बता दें कि सनस्क्रीन लगाने के स्किन को फायदे ज्यादा है और नुकसान कम है क्यों कि कुछ प्रोडक्ट में ही बेंजीन की मात्रा ज्यादा होती है। स्किन कैंसर का मुख्य कारण सूरज से आने वाली यूवी किरणें है। इन विकिरणों से बचाने के लिए स्किन पर ठीक तरीके से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना जरूरी है। एक्सपर्ट की सलाह के मुताबिक विश्वसनीय कंपनियों का सनस्क्रीन स्किन के लिए बेस्ट है।

सनस्क्रीन खरीदते किन बातों का रखें ध्यान

रिसर्च का मतलब ये नहीं है कि आप सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना छोड़ दें। आप जब भी सनस्क्रीन खरीदें तो उसमें बेंजीन की मात्रा का ध्यान रखें। आप अच्छे सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करें।
सनस्क्रीन में बेंजीन से सावधान रहना जरूरी है, क्योंकि इसका सीधा लिंक कैंसर से है। बैंजीन फ्री सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।

सनस्क्रीन का कितना होना चाहिए SPF?

सनस्क्रीन खरीदते समय SPF का ध्यान जरूर रखें। सनस्क्रीन हमेशा 30 या उससे ज्यादा SPF वाला ही खरीदें। 30 SPF वाला  सनस्क्रीन यूवीए और यूवीबी दोनों तरह की किरणों से बचाव करेगा। सनस्क्रीन खरीदते समय ध्यान रखें कि सनस्क्रीन में टाइटेनियम डाइऑक्साइड या जिंक ऑक्साइड जैसे तत्व मौजूद हो।