जीवन के एकाकीपन के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें से एक कारण ‘शादी न करना’ भी होता है। हालांकि शादी न करने के पीछे महिलाओं की स्वछंदता और स्वतंत्रता के अलावा भी कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कई बार न चाहते हुए भी महिलाएं इस एकाकीपन की ओर बढ़ जाती हैं और फिर उम्र के ऐसे पड़ाव पर आ जाती हैं, जहां से सामान्य पारिवारिक जीवन में लौटना बहुत मुश्किल हो जाता है।

उत्तर प्रदेश से आकर दिल्ली में ठिकाना बना चुकीं 38 साल की विनीता पेशे से शिक्षक हैं। ऑफिस जाने के दौरान मेट्रो में सीट ऑफर करने पर उनसे हुई मुलाकात और 15 मिनट की बातचीत ने मेरा ध्यान एक ऐसी गंभीर समस्या की ओर खींचा, जोकि हम महिलाओं के लिए बेहद अहम है और जिसके बारे में जानकारी रखना हमारे लिए बहुत जरुरी भी है।

विनीता दिल्ली में अकेले रहती हैं। उन्होंने शादी नहीं की। एक सीबीएसई स्कूल में पढ़ाने के अलावा वह सोशल वर्क में एक्टिव रहती हैं और बच्चों के लिए काम करती हैं। 26—27 की उम्र तक उनका वजन काफी बढ़ता चला गया और फिर मोटी दिखने के कारण वह शादी नहीं कर सकीं। उस वक्त उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ता गया और वह डिप्रेस रहने लगीं। इससे काफी पहले से ही उसका मासिक चक्र भी गड़बड़ा चुका था।

डॉक्टर के पास गईं तो उन्हें ‘पीसीओडी’ का लक्षण बताया गया। चेकअप के बाद रिपोर्ट्स भी यही आई। डॉक्टर की सलाह और निगरानी में आज वह बेहतर जीवन गुजार रही हैं, लेकिन अनियमित पीरियड्स से पीसीओडी का शिकार हो चुकीं विनीता के लिए बीता हुआ कल भुलाना आसान नहीं है। हम महिलाओं को इस स्थिति से बचने के लिए काफी ज्यादा ख्याल रखने की जरुरत है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ स्मिता जैन कहती हैं कि पीरियड्स से जुड़ी छोटी लापरवाही भी कई बार बड़ी बीमारियों का कारण बनती है। ऐसी बीमारियों के बारे में ग्रामीण तो क्या शहरी और पढ़ी-लिखी महिलाओं को भी पता नहीं चल पाता है।

30 फीसदी महिलाएं शिकार, पर ​अधिकतर को पता नहीं

पीरियड्स से जुड़ी ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है- पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, जिसे शॉर्ट में पीसीओडी (PCOD) या पीसीओएस (PCOS) कहा जाता है। करीब 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं, जबकि चिकित्सकों का मानना है कि इसकी शिकार महिलाओं की संख्या इस से भी कई गुना अधिक है।

डॉ जैन बताती हैं कि 100 में से 3 महिलाएं भी इस बीमारी का नाम नहीं सुनी होती हैं। यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो कि अंडाशय के बाहरी किनारों पर छोटे-छोटे सिस्ट के बढ़ने का कारण बनता है। इससे मादा हार्मोन एंडोर्फिन के कामकाज को बाधित करता है और अंडाशय चक्र असामान्य हो जाता है।

पीरियड्स के शुरू होने से पहले या बाद में महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो कई बार इस बीमारी का रूप ले लेते हैं। इसमें महिलाएं कई बार 2 से 3 महीने तक पीरियड्स नहीं हो पाती हैं। डॉ जैन बताती हैं कि पीसीओडी का प्रमुख कारण का तो पता नहीं लग पाया है, लेकिन इसे अनुवांशिक बीमारी माना जाता है। जानकारी के अभाव में पीसीओडी जैसी समस्या बढ़ने लगती है। इसके अलावा महिलाओं का धूम्रपान करना, अल्कोहल का अत्यधिक सेवन आदि पीसीओडी होने का खतरा बनाए रखता है।

पीसीओडी चेहरे पर मुंहासे का भी कारण बनता है और मुंहासे से पीड़ित 18 प्रतिशत महिलाओं में गंभीर डिप्रेशन और 44 प्रतिशत महिलाओं में उत्कुंठा, व्याकुलता (एंग्जाइटी) देखी गई है। पीसीओडी का उपचार न होने से महिला का आत्मविश्वास टूट जाता है और उनका अपने प्रति आदर (सेल्फ रेस्पेक्ट) कम हो जाता है।
बांझपन और बार-बार गर्भपात का बनता है कारण

पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं में हाईब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मासिक-धर्म का अनियमित होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना बार बार गर्भपात होना, मुंहासे होना, पुरुषों की तरह चेहरे पर बाल आ जाना, डिप्रेशन होना, थकान, ओवरी में सूजन होना, बाल पतले होना, नींद की समस्याएं और मूड स्विंग आदि जैसी समस्याएं पाई जाती है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी की वजह से महिलाओं में बांझपन की दर बहुत अधिक है। इसकी शिकार महिलाओं को आमतौर पर गर्भधारण करने में कठिनाई होती है, लेकिन डॉक्टरी सलाह और उपचार से स्थिति में सुधार आ सकता है। कुछ महिलाएं जो इस समस्या से ग्रसित हैं, वे परिपक्व अंडे जारी करती हैं और कुछ में यह संभव नहीं होता है।

खतरों से दूर करेगा थोड़ा व्यायाम और उचित इलाज

थोड़ी राहत भरी बात यह है कि अगर उचित इलाज़ कराया जाए तो पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं का गर्भधारण संभव है। पीसीओडी से प्रजनन क्षमता खराब होती है, लेकिन कुछ ऐसे व्यायाम हैं जिससे यह समस्या दूर की जा सकती है। सुबह उठ कर टहलने–घूमने से ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, जिससे प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। इसकी शिकार महिलाओं को दिन में एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए। ज्यादा खाना खाने के बजाय उन्हें बार-बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना खाना चाहिए।

‘करें योग, रहें निरोग’ यहां भी अप्लाई होती है। योग कर पीसीओडी से होने वाले हार्मोनल असंतुलन को संतुलित किया जा सकता है। जुम्‍बा एक्‍सरसाइज ऐसी गतिविधि जो वजन को कम करने में बहुत ही फायदेमंद है। वजन कम करने के साथ-साथ गर्भधारण की संभावनाओं को भी बढ़ाता हैं। इसके अलावा स्‍वीमिंग भी ब्लड सर्कुलेशन को बढाने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए एक प्रभावी एक्‍सरसाइज है।

– आरती कुमारी

(लेखिका फ्रीलांस पत्रकार हैं। महिला एवं बाल कल्याण, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे अहम मुद्दों पर लेखिका के कई लेख और शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं।)