Symptoms of Diabetic Neuropathy: मधुमेह की बढ़ती बीमारी से भारत में करोड़ों लोग परेशान हैं। ब्लड शुगर बढ़ने से सिर्फ हृदय और किडनी रोग ही नहीं होता है; बल्कि इसके साथ कई अन्य बीमारियां भी होने का खतरा रहता है। उन्हीं में से एक डायबिटिक न्यूरोपैथी है। इस बीमारी में नर्व डैमेज हो जाती है, जिससे व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता पर असर पड़ता है। हाथों और पैरों पर जब इसका असर दिखता है तो झनझनाहट, सुन्न पड़ना, कमज़ोरी, सुई चुभने जैसा दर्द महसूस हो सकता है। आइए डायबिटिक न्यूरोपैथी के बारे में कुछ जरूरी बातें जानते हैं-

डायबिटिक न्यूरोपैथी क्या है?

डायबिटिक न्यूरोपैथी या मधुमेह न्यूरोपैथी एक प्रकार की तंत्रिका क्षति है जो मधुमेह वाले लोगों में हो सकती है। यदि आपको मधुमेह है, या आपके रक्त में अत्यधिक मात्रा में ग्लूकोज है, तो आपकी नसों या रक्त वाहिकाओं (जो आपकी नसों में ऑक्सीजन लाती हैं) का आवरण क्षतिग्रस्त हो सकता है।

न्यूरोपैथी शरीर में किसी भी तंत्रिका को प्रभावित कर सकती है, लेकिन विशेष रूप से यह गैन्ग्लिया (खोपड़ी के बाहर), रीढ़ की हड्डी, हृदय, मूत्राशय, आंतों और पेट की नसों को प्रभावित करने वाली नसों और प्रमुख अंगों के कामकाज को प्रभावित करती है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण क्या हैं ?

कोई भी व्यक्ति जो मधुमेह से पीड़ित हैं, उसे न्यूरोपैथी हो सकती है, लेकिन कुछ और वजह हैं जिनकी वजह से नर्व डैमेज होने की अधिक आशंका होती है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण

  • हार्ट रेट बढ़ना
  • सेंस ऑफ टच खोना
  • हाथ-पैर सुन्न पड़ जाना
  • अपच, उल्टी, थकान या चक्कर आना
  • पैरों में जलन होना: यदि व्यक्ति को डाइबिटीज है और रात को हाथ पैरों में जलन होती है तो यह डायबिटिक न्यूरोपैथी का संकेत हो सकता है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी का इलाज क्या है ?

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन की सलाह है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को साल में कम से कम दो बार A1C टेस्ट करवाना चाहिए। यह रक्त परीक्षण पिछले दो और तीन महीनों के लिए हमारे रक्त शर्करा के स्तर के औसत की जाँच करके परिणाम देता है।

द अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, A1C सात प्रतिशत से कम होना चाहिए, यदि रक्त शर्करा का स्तर अधिक है तो उस स्थिति में हमें रोजाना उसे मेन्टेन करने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में दवाओं के सेवन के साथ-साथ हमें डाइट मैनेजमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम करें, कोशिश करें कि दिन में कम से 30 मिनट मॉर्निंग या ईवनिंग वॉक के लिए समय निकालें। घास पर नंगे पैर पैदल चलें। साथ ही चीनी और मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन से सख्ती से परहेज करें। साथ ही स्वस्थ और संतुलित आहार का पालन करें।