Heart Disease Care Tips: 60 की उम्र के बाद हृदय से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस उम्र के बाद अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बढ़ती उम्र, अनुवांशिक कारणों से होने वाले हार्ट अटैक को रोकना थोड़ा मुश्किल होता है। दूसरी तरफ, महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। हार्ट के मरीजों को सांस लेने में समस्या होने लगती है या फिर सीने में तेज दर्द होने लगता है। यदि आपके माता-पिता में से किसी को हार्ट डिजीज की समस्या है तो इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

उच्च रक्तचाप: उम्र के साथ स्वास्थ्य परेशानियां बढ़ती हैं। अगर आपके पैरेंट्स का ब्लड प्रेशर अधिक होता है तो उन्हें हर कुछ दिनों के अंतराल पर हार्ट चेकअप कराते रहना चाहिए। उच्च रक्तचाप से दिल पर दबाव बढ़ता है और रक्त संचार के लिए उसे अधिक काम करना पड़ता है। ये हार्ट अटैक का खतरा लेकर आता है।

डायबिटीज: जो बुजुर्ग डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं, कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से ब्लड वेसेल्स की कार्य क्षमता बिगड़ जाती है। ऐसे में ब्लड शुगर का ध्यान रखना जरूरी होता है।

सांस लेने में कठिनाई: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी व्यक्ति के सांस लेने और दिल के धड़कने के बीच संबंध होता है। अगर आपके माता-पिता को सांस संबंधी दिक्कतें हैं तो इसका मतलब है कि उनका हृदय पर्याप्त मात्रा में खून को पंप नहीं कर पा रहा है।

छाती में दर्द: अधिकांश समय देखा गया है कि बुजुर्ग छाती में दर्द को एसिडिटी या गैस का नाम देकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन ये और भी अधिक खतरनाक हो सकता है। अगर आपके अभिभावक को छाती में दर्द, दबाव या कोई कठिनाई महसूस होती है तो इसका मतलब है कि ये दिल के दौरे का संकेत भी हो सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल: उच्च कोलेस्ट्रॉल से आर्टरीज में प्लेक जमा होने लगता है, इससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर जांच रखना बहुत जरूरी है। साथ ही, ओट्स और बार्ले जैसे फूड्स खाएं।