Diabetes Symptoms: एक सर्वे के अनुसार देश में डायबिटीज के 75 फीसदी से अधिक मरीजों में शुगर का स्तर अनियंत्रित रहता है। अनियंत्रित डायबिटीज के वजह से मरीजों को हृदयरोग, रक्तचाप, स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इस बीमारी में खुद का सही से ख्याल नहीं रखने पर व्यक्ति की हालात इतनी बिगड़ सकती है कि उसकी जान भी जा सकती है। डायबिटीज को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि अधिकांश मामलों में इसके लक्षणों की पहचान शुरुआती समय में नहीं हो पाती है। ऐसे में जरूरी है कि लोग अपने शरीर में होने वाले बदलावों के प्रति सतर्क रहें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार पैर में आने वाले कुछ बदलावों को पहचान कर डायबिटीज बीमारी का पता लगाना आसान हो जाता है।

दर्द या चुभन का अहसास न होना: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से मरीजों के पैर भी प्रभावित होते हैं। शुगर का उच्च स्तर पैरों के नसों को डैमेज करता जिससे कई हिस्सों में संवेदनाएं कम हो जाती हैं। इसके कारण पैर सुन्न पड़ जाते हैं और किसी भी प्रकार के दर्द या चुभन का उन्हें अहसास नहीं होता है। वहीं, पैरों में चोट लगने पर पता न चलना या फिर गर्म चीज को महसूस न कर पाना भी इसका लक्षण हो सकता है।

पैरों में सूजन: जब ब्लड शुगर अधिक हो जाता है तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ब्लड सप्लाई होने में भी बाधा उत्पन्न होती है। इसके कारण लोगों को पैरों में सूजन की समस्या भी हो सकती है। वहीं, अगर लोगों को पैरों में असहनीय पीड़ा की शिकायत भी है तो उन्हें भी तुरंत अपना ब्लड शुगर चेक कराना चाहिए। शुगर का स्तर अनियमित होने पर ये परेशानी हो सकती है।

आए दिन हो रहे हैं पैरों में घाव: डायबिटीज के मरीजों के पैरों में खून का संचार सुचारू तरीके से नहीं हो पाता है। इस कारण उन्हें इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। किसी भी प्रकार के संक्रमण से नहीं लड़ पाने की स्थिति में पैरों में घाव की समस्या हो सकती है। गंभीर मामलों में घाव गैंगरीन का रूप भी ले सकते हैं।

पैरों में जलन: कई बार लोग तलवे या फिर पंजों के आसपास होने वाले जलन से भी परेशान होते हैं, इसके पीछे भी डायबिटीज एक कारण हो सकता है। असामान्य ब्लड शुगर के स्तर के कारण लोगों को ये परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, पैरों के नाखूनों में बदलाव, कंपन या झनझनाहट भी डायबिटीज का लक्षण हो सकता है।

ऐसे करें बचाव: लोगों को समय-समय पर अपने पैरों का खुद से ही निरीक्षण करते रहना चाहिए। अगर पैरों में कुछ भी बदलाव नजर आए तो डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। साथ ही साथ, पैरों की सफाई भी बेहद जरूरी है। पैर के नाखून के प्रति सतर्कता बरतना जरूरी है, समय-समय पर इन्हें काटते रहें। चप्पलों का चुनाव करते हुए इस बात का ध्यान रखें कि वो आपके साइज का ही हो और उससे किसी भी प्रकार से चोट लगने का खतरा न हो। जूते पहनते वक्त हमेशा जुराब पहनें। जीन्स या फिर दूसरे तंग कपड़ों को अधिक समय तक न पहनें, इससे ब्लड फ्लो होने में दिक्कत होती है।