हर एक लड़की के शरीर में बदलाव एक उम्र के बाद होते रहते हैं। पीरियड्स असल में किस समय आएंगे। यह उम्र के हिसाब से तय नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये हार्मोन, शारीरिक सरंचना और जीन्स पर आधारित है। आमतौर पर पीरियड्स आने की उम्र 10 से 18 साल के बीच मानी जाती है। कुछ रेयर केसेस में लड़कियों को 9 साल की उम्र में ही पीरियड्स हो जाते हैं। ऐसे में जब लड़की के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है, तो उसे अपने खानपान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। अक्सर पीरियड्स में अपनी डाइट को नजर अंदाज कर देती है, जिसके कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म के दौरान काफी मूड स्विंग होते हैं, जिससे उन्हें असल में समझ नहीं आता है कि उनकी ये समस्या कैसे सही होगी। ऐसे में हेल्दी खाने की बजाय अनहेल्दी चीजें खाना ज्यादा पसंद करती हैं। वहीं दूसरी ओर फिट रहने के चक्कर में कम वजन पर तेजी से जोर दे रही हैं, जो समय से पहले मासिक धर्म बंद होने का भी कारण बनता जा रहा है।

महिला स्वास्थ्य और स्वच्छता में बदलाव लाने के लिए रिवा (Revaa) ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें डॉक्टर्स से लेकर सेलिब्रिटी शेफ तक ने शिरकत की। जिसमें पीरियड्स से संबंधित सवालों पर खुलकर बात की गई। एक्सपर्ट ने बताया कि आखिर किस तरह महिलाओं को अपनी सोच में बदलाव करके हाइजीन से लेकर खानपान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसी के साथ हेल्दी रखकर कैसे पीरियड्स संबंधी समस्याओं से बच सकते हैं। इसी क्रम में पद्मश्री से नवाजी गई गायनोलॉजिस्ट मालविका सभरवाल से लेकर सेलिब्रिटी शेफ हरपाल सिंह सोखी ने बताया कि आखिर टीएनएज लड़कियों का किस तरह का खानपान होना चाहिए और किन बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है…

वजन का रखें खास ख्याल

प्रिंसिपल अनीता मक्कर का कहना है कि आज के समय में लड़कियों के बीच जीरो फिगर का काफी चलन है। इसके चलते वह अपना वजन काफी हद तक कम कर लेती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कम वजन का असर मासिक धर्म में भी पड़ता है। कई लड़कियां ऐसी है जो पहले से ही फिट हैं। लेकिन फिर भी उन्हें और वजन कम करनी जद्दोदत होती है। ऐसे अनियिमित पीरियड्स की समस्या हो जाती है। कई लड़कियों के तो पीरियड्स कम उम्र में ही बंद हो जाते हैं। दरअसल, जब आप आपके शरीर में अधिक बदलाव होता है, तो वह इसे तनाव का रूप समझ लेता है। जिससे वह मासिक चक्र को ही रोक जाता है। आपके शरीर में हार्मोन का उत्पादन भी कम कर देता है, क्योंकि यह उन्हीं चीजों को करता है जिसमें इनका बहुत जरूरत है जैसे कि खाना पचाना या फिर सांस लेना।

एक्सपर्ट से जानें कैसी होनी चाहिए डाइट

सेलिब्रिटी शेफ हरपाल सिंह सोखी कहते हैं कि टीएनएज में लड़कियां हेल्दी खाने के बजाय अनहेल्दी चीजें अधिक लेती हैं। मूड स्विंग होने के कारण असल में उन्हें समझ नहीं आता है कि आखिर क्या खाना हेल्दी होगा? मूड स्विंग के दौरान वह अपने हिसाब से चिप्स, चॉकलेट जैसी चीजों को अधिक मात्रा में खाने लगती हैं। इससे उस समय तो उनका मूड सही हो जाता है। लेकिन बाद में यह चीजें स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती है। इसलिए जरूरी है कि वह उन चीजों को अपनी डाइट में भी शामिल करें जो हेल्दी हो।

गायनोलॉजिस्ट मालविका सभरवाल कहती हैं कि पीरियड्स से पहले 10 से 16 साल की उम्र के बीच का समय होता है उसमें लड़कियों की सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है, जिससे मासिक धर्म के समय किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े। इसलिए कोशिश करें कि पीरियड्स के समय कम कार्बोहाइड्रेट, पैकेज्ड और प्रोसेस फूड वाली चीजों का सेवन कम करें, क्योंकि इसकी अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में सूजन बढ़ सकती है और पेट दर्द की समस्या भी बढ़ सकती है। इसके बजाय अपनी थाली में प्रोटीन, आयरन संबंधित फूड्स और फूट्स को शामिल करें और हो सके तो विटामिन्स, कैल्शियम, आयरन से संबंधित सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।

एक्सरसाइज और योग भी जरूरी

योगा इंस्ट्रक्टर नवतेज सिंह जोहर का कहना है कि पेरेंट्स को पीरियड्स से संबंधित रूढ़िवादी विचारों को तोड़ना चाहिए और इसके बारे में शर्माने के बजाय खुलकर बात करना चाहिए, जिससे आपके बच्चे बिना शर्म के अपनी बात को आपसे कह सकते हैं। इसके साथ ही पीरियड्स के समय दर्द, ऐंठन जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़ें। इसके लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज के साथ योग कर सकते हैं। मंडुकासन सहित कई ऐसे योगासन है जिन्हें करने से मासिक धर्म के समय होने वाली समस्याओं से निजात मिलेगा।

पीरियड्स को लेकर खुलकर बात करना जरूरी

रिवा (Revaa) के फाउंडर और सीईओ महिपाल सिंह जी ने मासिक धर्म के बारे में बता करते हुए कहा कि महिलाओं के लिए नार्मस और लाइफ को बदलने वाले इस बात पर बात करना बेहद जरूरी है, क्योंकि हमारे समाज में माहवारी गोपनीयता में लिपटा रहता है। माहवारी केवल एक जैविक क्रिया नहीं है। यह ताकत और जीवन देने के लिए महिला शरीर की जन्मजात क्षमता का एक शक्तिशाली प्रतीक भी है। महिलाओं को वास्तव में सशक्त बनाने के लिए हमें माहवारी के बारे में लंबे समय से चली आ रही गलत धारणाओं को तोड़ना होगा और एक ऐसी कहानी बनानी होगी जो महिला होने के इस आवश्यक हिस्से का सम्मान करती हो।