डायबिटीज लाइफस्टाइल और खान-पान की खराबी की वजह से पनपने वाली बीमारी है, जिसका खतरा बढ़ती उम्र में ज्यादा रहता है, लेकिन खराब डाइट और खराब जीवनशैली ने बच्चों को भी डायबिटीज का शिकार बना दिया है। आप जानते हैं कि बच्चे में डायबिटीज जैसी मेडिकल कंडीशन विकसित हो सकती है। भारत समेत दुनिया भर के बच्चों में पिछले बीस सालों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मामले बढ़े हैं।
बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। बच्चों में डायबिटीज होने का कारण खराब खान-पान, निष्क्रिय जीवन शैली, मोटापा और फैमिली हिस्ट्री जिम्मेदार है। बच्चे में डायबिटीज तब होती है जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। वैसे तो टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के बच्चों में एक जैसे लक्षण होते हैं जिन्हें समय पर पहचानने की जरूरत होती है। डायबिटीज से पीड़ित बच्चे को व्यस्कों की तुलना में ज्यादा केयर की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के कौन- कौन से लक्षण होते हैं।
थकान ज्यादा होना: ब्लड में शुगर का घटता और बढ़ता स्तर बच्चों में थकान पैदा कर सकता है।
बार-बार पेशाब आना: टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में बच्चे को पेशाब ज्यादा आता है।
बहुत ज्यादा प्यास लगना: बच्चों में शुगर का स्तर बढ़ने की वजह से उन्हें अधिक प्यास लग सकती है।
भूख ज्यादा लगना: बच्चों के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से उन्हें ज्यादा भूख लग सकती है। इंसुलिन के अपर्याप्त उत्पादन की वजह से बॉडी में एनर्जी की कमी हो सकती है जिससे बच्चा अक्सर भूखा महसूस कर सकता है।
वजन कम होना: डायबिटीज की वजह से बच्चों का वज़न तेजी से कम हो सकता है।
ये लक्षण भी दिख सकते हैं: जैसे धुंधला दिखाई देना, सांस लेने में तकलीफ होना, पेट दर्द, उल्टी,सांस की बदबू और बेहोशी भी हो सकती है।
बच्चों में डायबिटीज होने पर पैरेंट्स करें इस तरह ख्याल
- पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चे के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने की समय-समय पर जांच करें।
- बच्चे के लाइफस्टाइल में बदलाव करें। डाइट में ऐसे फूड्स का सेवन करें जिनसे शुगर का स्तर नॉर्मल रहे।
- बच्चों को वॉक और एक्सरसाइज करने की सलाह दें।