होली आने में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। वहीं, इस साल ये पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा। ऐसे में इसे लेकर लोगों की एक्साइटमेंट सातवें आसमान पर है। बाजारों में रंग बिकना शुरू हो गए हैं, इसके साथ ही घरों में भी साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक होली की तैयारियां जोरों पर हैं। गौरतलब है कि होली का त्योहार खुशी और उत्सव लाता है, इस दौरान लोग पुराने गिले शिकवे मिटाकर हर किसी को गले से लगते हैं और जमकर गुलाल उड़ाते हैं। हालांकि, खुशी भरा ये माहौल अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए संभावित स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा सकता है।
होली में हर ओर हवाओं में रंग-गुलाल उड़ते हैं, जो अस्थमा के मरीजों में अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे में खासकर होली के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। वहीं, अगर आप भी इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, तो यहां हम आपको 5 ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें लेकर सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं सुरक्षित और आनंददायक होली के लिए अस्थमा के मरीजों के लिए किन बातों से बचना बेहद जरूरी है।
होली पर अस्थमा रोगी भूलकर न करें ये गलती
मास्क
अगर आप अस्थमा से पीड़ित हैं, तो होली के मौके पर या रंगों का उत्सव मनाते हुए मास्क पहनना बिल्कुल न भूलें। अगर आप मास्क नहीं लगा पाते हैं, तो किसी स्कार्फ की मदद से अपनी नाक और मुंह को पूरी तरह ढ़क कर रखें। ये सरल लेकिन जरूरी तरीका रंगों, धुएं और शुष्क हवा में मौजूद हानिकारक कणों को आपकी नाक और मुंह के अंदर जाने से रोकने में मददगार साबित होगा। वहीं, मास्क या स्कार्फ न पहनने से रंग या दुषित हवा आपके नाक या मुंह के अंदर जाकर अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकती है। ऐसे में बेहतर सेहत के लिए इस गलती को दोहराने से बचें।
अत्यधिक शारीरिक गतिविधि
होली पर खूब हुड़दंग, नाच-गाना होता है, इस खास मौके पर लोग जमकर मस्ती करते हैं। हालांकि, अगर आप अस्थमा से पीड़ित हैं, तो अत्यधिक शारीरिक गतिविधि में शामिल होना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। ऐसे में श्वसन संकट से बचने के लिए अत्यधिक परिश्रम से बचें, साथ ही समय-समय पर किसी खुली और साफ जगह पर जाकर कुछ देर ब्रेक जरूर लें।
सिंथेटिक कलर का इस्तेमाल
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सिंथेटिक रंगों में मौजूद रसायन नासिका मार्ग (Nasal Passage) में जलन पैदा कर अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे में सिंथेटिक कलर के इस्तेमाल से बचें। इसकी जगह आप हल्दी, गुलाब पाउडर, चुकंदर पाउडर और अन्य ऑर्गेनिक इंग्रेडिएंट्स जैसे विकल्प चुन सकते हैं। इस तरह के प्राकृतिक रंग न केवल श्वसन संबंधी जलन के जोखिम को कम करते हैं बल्कि ये आपकी स्किन और बालों को भी सिंथेटिक रंगों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
शराब का सेवन
कई हेल्थ रिपोर्ट्स बताती हैं कि शराब, खासकर रेड वाइन, व्हाइट वाइन, साइडर और बीयर अस्थमा के लक्षणों के जोखिम को अधिक बढ़ा सकती हैं। ऐसे में होली के दौरान शराब से परहेज करना अस्थमा के मरीजों के लिए जरूरी हो जाता है। त्योहार का आनंद लेने और खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए आप फलों के रस या ठंडाई जैसे स्वस्थ विकल्पों को चुन सकते हैं।
अत्यधिक गर्मी
होली आते-आते मौसम में भी बदलाव होना शुरू हो जाता है। इन दिनों सूरज का प्रोकप अधिक बढ़ जाता है, साथ ही हवा भी अधिक शुष्क और गर्म होने लगती है। वहीं, अत्यधिक गर्मी और आर्द्रता अस्थमा के रोगियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 20-30 मिनट तक सूर्य के प्रकाश के मध्यम संपर्क में रहने से अस्थमा के लक्षणों को कम करने और फेफड़ों पर एलर्जी के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अत्यधिक गर्मी या अधिक देर तक सूरज के संपर्क में रहने से अस्थमा से पीड़ितों को वायुमार्ग में जलन का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में अच्छी सेहत के लिए देर तर सूरज के संपर्क में समय न बिताएं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- रंगों के त्योहार का आनंद लेते हुए भी सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। ऐसे में अपने इनहेलर को हमेशा अपने पास रखें।
- वायु प्रदूषण, धुआं, तेज सुगंध और एलर्जी जैसे अस्थमा ट्रिगर करने वाले कारकों से दूर रहें।
- भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।
- इन सब से अलग अगर आपको होली समारोह के दौरान या उसके बाद श्वसन संबंधी कोई असुविधा या अस्थमा के लक्षण महसूस होते हैं, तो बिना अधिक देरी किए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।