आयुर्वेद में ऋषि-मुनियों ने प्रकृति में मौजूद ऐसी कई जड़ी-बूटियों की खोज की, जिनकी मदद से सदियों से क्रॉनिक और गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। ये जड़ी-बूटियां न सिर्फ रोगों के इलाज में सहायक हैं, बल्कि शरीर को संपूर्ण पोषण भी देती हैं। ऐसी ही एक गुणकारी औषधि है सहजन का पौधा, जिसे मोरिंगा (Moringa) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में सहजन को “शिगरू” कहा गया है और इसे आयुर्वेद का मल्टीविटामिन भी माना जाता है। सहजन का पौधा केवल एक हिस्सा नहीं, बल्कि इसके पत्ते, फल, बीज और छाल सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं में उपयोग किए जाते हैं।

सहजन क्यों कहलाता है मल्टीविटामिन?

सहजन में नेचुरल तरीके से कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें विटामिन A, विटामिन C, विटामिन E, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल हैं। यही कारण है कि ये शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है और बॉडी में पोषण की कमी को दूर करने में मदद करता है।

सहजन के पत्तों का सेवन करने से बॉडी को फायदे

आयुर्वेदिक स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. शिवानी चौधरी ने बताया सहजन एक ऐसा पौधा है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका सेवन करने से बॉडी में खून की कमी पूरी होती है और हॉर्मोन बैलेंस रहते हैं। ये पत्ता फैटी लिवर का इलाज करता है। इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। बॉडी में खून की कमी को पूरा करता है सहजन।

इसका रोज सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बॉडी का बीमारियों से बचाव होता है। बॉडी में होने वाली कमजोरी, थकान और पोषण की कमी पूरा करने में ये पौधा दवा का काम करता है। डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मोरिंगा के पत्ते बेहद असरदार साबित होते हैं। ये पत्ते शरीर में सूजन और दर्द को कंट्रोल करते हैं। इनका सेवन करने से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। ये पत्ते वजन घटाने में भी मदद करते हैं।

इन 5 लोगों के लिए जहर साबित होते हैं ये अमृत समान पत्ते

हालांकि मोरिंगा एक औषधीय पौधा है, लेकिन कुछ लोगों के लिए ये पौधा ज़हर साबित होता है। कुछ बीमारियों में अगर गलत मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो ये एसिडिटी, जलन और ब्लीडिंग जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं कि किन लोगों के लिए मोरिंगा के पत्ते जहर साबित होते हैं।

सीने में जलन हो तो नहीं खाएं

सहजन वात और कफ दोष को संतुलित करने में सहायक माना जाता है, लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है जो कुछ लोगों में पित्त दोष बढ़ा सकती है। इसी वजह से जिन लोगों को अधिक एसिडिटी, सीने में जलन, खट्टी डकार या पेट में जलन की समस्या रहती है, उन्हें मोरिंगा का सेवन सावधानी और सीमित मात्रा में करना चाहिए। मोरिंगा का अधिक या लगातार सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और गैस, जलन या एसिडिटी की समस्या बढ़ा सकता है। इसलिए पित्त प्रकृति वाले या पाचन से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को मोरिंगा को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेना चाहिए।

मुंह को छालों में नहीं खाएं

मुंह में छाले होने की स्थिति में मोरिंगा का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार मोरिंगा का प्रभाव उष्ण होता है, जो शरीर में पित्त दोष को बढ़ा सकता है। पित्त बढ़ने से मुंह में जलन, दर्द और छालों की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। ऐसे समय में मोरिंगा पाचन को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए जब तक छाले पूरी तरह ठीक न हो जाएं, मोरिंगा से परहेज करना बेहतर माना जाता है।

पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या होने पर

पीरियड्स के दौरान अगर हैवी ब्लीडिंग की समस्या रहती है, तो ऐसे समय में मोरिंगा का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार मोरिंगा शरीर में पित्त दोष को बढ़ा सकता है। पित्त बढ़ने से रक्तस्राव ज्यादा हो सकता है और पीरियड्स की परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए हैवी ब्लीडिंग, बार-बार पीरियड्स या अनियमित चक्र वाली महिलाओं को मोरिंगा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी लेना चाहिए।

गर्भावस्था या किसी गंभीर बीमारी में

गर्भावस्था के दौरान या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मोरिंगा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए। इस अवस्था में शरीर ज्यादा संवेदनशील होता है और किसी भी जड़ी-बूटी का गलत प्रभाव मरीज की सेहत पर पड़ सकता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव, ब्लड प्रेशर, शुगर या लीवर से जुड़ी बीमारी में मोरिंगा लेने से पहले आयुर्वेदिक या मेडिकल विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी होता है।

सहजन का सेवन करने का सही तरीका

  • पत्तों की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
  • आटे में मिलाकर पराठे के रूप में खा सकते हैं।
  • पत्तों का सूप बनाकर भी खा सकते हैं।
  • पाउडर के रूप में आप सहजन का सेवन कर सकते हैं।

पाउडर की मात्रा

रोजाना 2–3 ग्राम से ज्यादा इस पाउडर का सेवन नहीं करें। सब्जी हफ्ते में 1–2 बार ही खाएं।

निष्कर्ष

सहजन एक बेहद फायदेमंद औषधीय पौधा है, लेकिन इसका सेवन सही मात्रा और सही व्यक्ति द्वारा किया जाना जरूरी है। अगर किसी तरह की मेडिकल कंडीशन है, तो इसे डाइट में शामिल करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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