शरीर में अगर लिवर यानी यकृत स्वस्थ है तो बाकी हिस्से को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है, क्योंकि यह एक ऐसा हिस्सा है जो शरीर की पांच सौ से ज्यादा गतिविधियों में सहायक है। हालांकि यह भी माना जाता है कि यह शरीर में एक ऐसा अंग है, जो खुद को दुरुस्त करता रहता है।

मगर शायद इसकी भी एक सीमा होगी कि लगातार लापरवाही की स्थिति में कब वह जवाब दे जाए। अगर किन्हीं हालात में किसी के लिवर में सीमा से ज्यादा खराबी आ गई, तब उसके बाद उसे संभालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि अपनी रोजमर्रा की शारीरिक गतिविधियों से लेकर खानपान तक को लेकर सचेत रहा जाए।

इसकी अनदेखी की वजह से ही आज ‘फैटी लिवर’ या लिवर में सूजन होना एक गंभीर बीमारी के रूप में तेजी से उभर रहा है। अगर समय पर इसकी देखभाल को लेकर सचेत नहीं हुआ जाए तो सामान्य दिखने वाली यह समस्या कई बार जीवन के लिए भी मुश्किल हालात पैदा कर दे सकते हैं।

कारण की पहचान

लिवर के आकार में होने वाले बदलाव की गति बहुत धीमी होती है, इसलिए लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। अगर गड़बड़ी शुरू हो ही जाती है तो उसके दो प्रकार होते हैं। पहली स्थिति में बेहिसाब शराब का सेवन करने वालों को यह समस्या हो सकती है। दूसरी स्थिति में शराब का सेवन नहीं करने वाले भी इसका शिकार हो सकते हैं।

शराब की आदत वाले लोगों के लिवर में अगर सूजन की शुरुआत हो जाए तो वह आगे बढ़ते हुए अल्कोहल हेपेटाइस, लिवर का काम करना बंद करना, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर का कारण बन जा सकता है। मोटापा या फिर शरीर में अत्यधित वसा लिवर में गड़बड़ी करने के साथ-साथ उच्च रक्तचाप और अन्य रोग पैदा कर सकता है। अत्यधित तेल-मसाले वाले या डिब्बाबंद खाद्य-पदार्थों के साथ-साथ कुछ दवाओं का दुष्प्रभाव भी लिवर में दिक्कत आने का कारण बनता है।

लक्षण पर गौर

पेट में ऊपर की ओर दाईं तरफ दर्द, थकान और लिवर बढ़ना एक संकेत हो सकता है। जो लोग शराब का सेवन करते हैं, उन्हें मामूली संकेतों पर भी जांच करा कर आश्वस्त होते रहना चाहिए। इसके अलावा, जो लोग शराब नहीं पीते, उनकी हथेलियों का लाल होना, पेट में सूजन, त्वचा की सतह के नीचे बढ़ी हुई रक्त वाहिकाएं और आंखों का पीला होना यानी पीलिया आदि स्पष्ट दिख सकता है।

इसकी जांच करा कर गड़बड़ी की पहचान की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति अधिक वजन या मोटापे की समस्या से ग्रस्त है, तो उसे प्रत्येक दिन खाने वाली कैलोरी की संख्या कम करने की जरूरत है। अगर व्यक्ति का वजन आदर्श है, तो सेहतमंद खाद्यान्न लेना चाहिए और निर्धारित समय पर व्यायाम करते रहना चाहिए।

इलाज की राह

दिक्कत अगर ज्यादा बढ़ जाए तो जाहिर है, चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। मगर लक्षणों को पहचान कर अपने घर में कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं। मसलन, घर में रोजाना हरित चाय या ग्रीन टी पी सकते हैं, क्योंकि इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट तत्त्व इस समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं।

खाली पेट जीरा खाना भी मददगार साबित हो सकता है। हल्दी लिवर की सेहत को दुरुस्त करने में कारगर माना जाता है, जिसका मसाले में मिला कर इस्तेमाल करने से लेकर अलग से सेवन किया जा सकता है। इसका विषाणुरोधी गुण हेपेटाइटिस बी और सी के विषाणु को बढ़ने से रोकता है।

इसके अलावा, सलाद, हरी सब्जियां, त्रिफला, मुलेठी का नियम से सेवन लिवर की दिक्कत में काफी मददगार साबित होता है। मगर यह ध्यान रखने की जरूरत है कि जंक फूड या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का शौक किसी को आसानी से लिवर के डाक्टर के पास पहुंचा दे सकता है।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)