पिछले कुछ सालों में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है। अब कम उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर जैसे मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार इन बीमारियों के लिए प्रमुख रूप से बढ़ा हुआ एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर जिम्मेदार होता है। ये दोनों फैट्स (वसा) खून की नसों में जमा होकर रक्त संचार को बाधित करते हैं, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) और हार्ट अटैक (Heart Attack) दोनों अलग स्थितियां हैं जिनके बॉडी में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं। हार्ट अटैक में दिल की धमनियों में ब्लॉकेज के कारण दिल तक खून की आपूर्ति रुक जाती है। हार्ट अटैक के लक्षणों की बात करें तो सीने में दर्द, सांस फूलना, पसीना, चक्कर आना शामिल है। कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। इसके लक्षणों की बात करें तो मरीज को बेहोशी हो सकती है, सांस रुक सकती है और पल्स गायब हो सकती है।

हेल्थलाइन के मुताबिक हार्ट फैलियर एक ऐसी परेशानी है जिसमें दिल कमजोर हो जाता है और शरीर को पर्याप्त ब्लड पंप नहीं कर पाता। हार्ट फैलियर के लिए कुछ मेडिकल स्थितियां जैसे हाई ब्लड प्रेशर, लंबे समय तक की दिल की बीमारी होना या पहले हार्ट अटैक आना जिम्मेदार हो सकता है। हार्ट फैलियर का मतलब यह नहीं होता कि दिल ने काम करना बंद कर दिया है, बल्कि इसका अर्थ है कि दिल अपनी सामान्य क्षमता से कमजोर हो गया है और शरीर को पर्याप्त रक्त नहीं पहुंचा पाता।

हार्ट फैलियर होने से पहले हमारे पैरों में उसके लक्षण दिखने लगते हैं अगर समय रहते इन लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो दिल को बचाया जा सकता है। हार्ट फैलियर के लक्षणों की बात करें तो थकान, टखनों में सूजन, सांस लेने में तकलीफ और तेजी से वजन बढ़ना शामिल है। जब दिल इफेक्टिवली खून को पंप नहीं कर पाता तो ब्लड सर्कुलेशन धीमा पड़ने लगता है और बॉडी में फ्लूड जमा होने लगता है। ये फ्लूड खास तौर पर पैरों में, पैरों के टखनों और पंजों पर दिखाई देता है।

हार्ट फेलियर के दूसरे लक्षण

  • हार्ट फेलियर के दूसरे लक्षणों की बात करें तो टखनों में सूजन के साथ सांस लेने में कठिनाई होना, खासकर लेटने पर इस दिक्कत का ज्यादा होना।
  • अत्यधिक थकान या कमजोरी होना
  • धड़कनों का तेज या अनियमित होना
  • अचानक वजन बढ़ना
  • रात में बार-बार पेशाब जाना
  • लगातार खांसी या सीने में घरघराहट
  • ये लक्षण धीरे-धीरे भी आ सकते हैं या अचानक भी दिखाई दे सकते हैं।

हार्ट फैलियर का पता लगाने के लिए कौन सी जांच है जरूरी?

  • बीएनपी (BNP) जैसे Blood Test – दिल पर तनाव का पता लगाने के लिए
  • छाती का एक्स-रे – फेफड़ों में पानी या दिल के साइज में वृद्धि देखने के लिए
  • इकोकार्डियोग्राम – हृदय की संरचना, वाल्व और पंपिंग क्षमता जानने के लिए
  • ईसीजी (ECG) – दिल की धड़कन और विद्युत गतिविधि देखने के लिए

इलाज और बचाव के तरीके

  • इस परेशानी का इलाज करने के लिए डॉक्टर ऐसी दवाइयां देते हैं जिससे दिल की पंपिंग कैपेसिटी में सुधार किया जा सकता हैं और शरीर में जमा फ्लूड को बाहर निकाला जा सकता है।
  • नमक का सेवन कम करें। ज्यादा नमक बॉडी में फ्लूड का कारण बनता है।
  • पैर ऊंचे करके बैठें,  सूजन कम करने में मदद मिलती है।
  • रोज़ाना वजन चेक करें।  शरीर में तरल जमा हो रहा है या नहीं इसका अंदाजा रहेगा।
  • हल्की फिजिकल एक्टिविटी करें, ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहेगा।
  • डॉक्टर की सलाह के मुताबिक कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स यूज करें पैरों में दबाव बनाकर सूजन कम करते हैं

कब डॉक्टर से मिलें?

अगर टखनों की सूजन लंबे समय तक बनी हुई है और साथ ही सांस फूलना, थकान, वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

जल्द पहचान और इलाज से हार्ट फेलियर की जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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