विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया भर में इस समय 42.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। 30 सालों में मधुमेह पीड़ितों की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है। मधुमेह से पीड़ित लोगों को दिल का दौरा और हृदयाघात (हार्ट स्ट्रोक) हो सकता है। वहीं इससे किडनी फेल और पैरों के निष्क्रिय होने जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। इस बीमारी का पता खून की जांच से ही लगाया जा सकता है। यही कारण कि जांच में देरी इस बीमारी का एक बड़ा कारण है। वहीं हाल ही में दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे कॉन्टैक्ट लेंस को विकसित किया है जो मधुमेह की पहचान करने के साथ मधुमेह से आंखों में होने वाली बीमारी से डायबिटीज रेटिनोपैथी का इलाज भी करता है।
दक्षिण कोरिया के पोहांग यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (पीओएसटीईसीएच) के शोधकर्ताओं ने एक स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किया है। शोधकर्ता प्रोफेसर शी क्वांग हान और उनके शोध दल सहित उनके पीएचडी छात्र, जियोन-हुई ली ने एक स्मार्ट फोटोनिक कॉन्टैक्ट लेंस और एक पहनने योग्य चिकित्सा उपकरण का आविष्कार किया जो मधुमेह की पहचान कर मधुमेह संबंधी बीमारी रेटिनोपैथी का इलाज कर सकता है।
मधुमेह के रोगियों को खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर को मापने के लिए खून के नमूनों की आवश्यकता होती है। इसके लिए मरीज के हाथों में पिन चुभाकर रक्त का नमूना लिया जाता है, हर बार ऐसा करना मरीज के लिए थोड़ा पीड़ादायक होता है। लेकिन इस स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस को आंखों में पहनने मात्र से रक्त में शर्करा के स्तर का पता चल सकेगा और खून के नमूने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल यह स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) से युक्त है। इस लेंस में एक एकीकृत माइक्रो-एलईडी और फोटोडेटेक्टर है जो एनआईआर प्रकाश का विश्लेषण करके रक्त वाहिकाओं में शर्करा को माप सकता है। यह अपनी तरह का पहला कॉन्टैक्ट लेंस है जो केवल मरीज के आंसुओं से ही उसके रक्त में शर्करा के स्तर का पता लगा लेता है और रेटिनोपेथी की समस्या से जूझ रहे मरीजों के इलाज में मदद पहुंचाता है। यह नया विकसित उपकरण न केवल मधुमेह रोगियों को रक्त में शर्करा के स्तर की निगरानी करने देगा, बल्कि रेटिनोपैथी के लिए चिकित्सा उपचार भी सक्षम करेगा जो मधुमेह की जटिलताओं के कारण होता है।
शोधकर्ताओं ने इस कॉन्टैक्ट लेंस का परीक्षण खरगोश पर किया है। इन खरगोश की आंखों में डायबेटिक रेटिनोपेथी की समस्या थी। एक महीने बाद जब इन खरगोशों के आंखों की पुन: जांच की गई तो इसके परिणाम चकित कर देने वाले थे। शोधकताओं ने पाया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी से ग्रसित खरगोशों में नई रक्त वाहिकाओं के उत्पादन में उल्लेखनीय कमी आई थी। खरगोश पर हुए सफल परीक्षण के बाद जल्द ही इस कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग इंसानों की आंखों पर किया जाएगा। इस साल के मध्य में इसके क्लीनिकल परीक्षण शुरू होने की संभावना है। यह शोध जर्नल नेचर रिव्यू मैटेरियल्स में प्रकाशित किया गया है।
प्रोफेसर शी क्वांग हान और उनके शोध दल ने इन परिणामों के आधार पर एक स्मार्ट पहनने योग्य चिकित्सा उपकरण भी विकसित किया है जो पसीने से ही रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर का पता लगा सकता है। इसके अलावा इस शोध दल ने पीएचआई बायोमेड कंपनी के साथ, एक ब्लू-टूथ सिस्टम भी विकसित किया है जो मरीजों को उनके मोबाइल फोन पर मधुमेह से जुड़े परिणाम या आंकड़ों को भेजता है।
प्रोफेसर हान ने कहा, ‘हमने स्मार्ट एलईडी कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किया है जो मधुमेह की पहचान कर सकता है और दुनिया में पहली बार प्रकाश के साथ मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी का इलाज कर सकता है। हम स्टैनफोर्ड मेडिसिन के सहयोग से इन स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस और स्मार्ट पहनने योग्य चिकित्सा उपकरणों के व्यवसायीकरण की योजना भी बना रहे हैं।’
दक्षिण कोरिया के पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किया है जो मधुमेह की पहचान कर मधुमेह संबंधी बीमारी रेटिनोपैथी का इलाज कर सकता है।