अक्सर मेरे पास ऐसे मरीज आते हैं जिनका पेट फूला हुआ होता है और वे ये मान लेते हैं कि उनका बेली फैट बढ़ गया है, जिससे डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा हो सकता है। हाल ही में एक मरीज भी इसी चिंता के साथ मेरे पास आया था। लेकिन जांच करने पर पता चला कि यह फैट नहीं, बल्कि ब्लोटिंग थी। ब्लोटिंग मतलब गैस और फ्लूइड जमा होने की वजह से पेट का अस्थायी रूप से फूल जाना। बहुत से लोग इस फर्क को नहीं समझ पाते, इसलिए आज मैं आपको आसान शब्दों में ब्लोटिंग और बेली फैट के बीच अंतर बता रहा हूं।

ब्लोटिंग और बेली फैट में फर्क

ब्लोटिंग एक अस्थायी समस्या है, जो पाचन तंत्र में गैस, हवा या तरल पदार्थ जमा होने से होती है। इसमें पेट अचानक टाइट, भारी या सख्त महसूस होने लगता है और असहजता रहती है। ज्यादा खाने, गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे बीन्स, पत्ता गोभी, ब्रोकली, कोल्ड ड्रिंक्स पीने या फिर दूध और ग्लूटेन जैसी चीजों से एलर्जी होने पर ब्लोटिंग हो सकती है। IBS, कब्ज या आंतों से जुड़ी दूसरी समस्याओं में भी यह परेशानी देखी जाती है। आमतौर पर खाना पचने, गैस निकलने या टॉयलेट जाने के बाद ब्लोटिंग कम हो जाती है।

बेली फैट धीरे-धीरे बढ़ता है और लंबे समय तक बना रहता है। इसका कारण जरूरत से ज्यादा कैलोरी लेना, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव, नींद पूरी न होना और गलत खानपान होता है। बेली फैट दो तरह का होता है एक स्किन के नीचे जमा होने वाला सॉफ्ट फैट और दूसरा अंदरूनी अंगों के आसपास जमा होने वाला विसरल फैट, जो सेहत के लिए ज्यादा खतरनाक होता है। यह फैट दिन में घटता-बढ़ता नहीं है और लंबे समय तक बना रहता है।

शरीर से कैसे पहचानें

ब्लोटिंग में पेट अक्सर सख्त और फूला हुआ लगता है, लेकिन उसे उंगलियों से पकड़ पाना मुश्किल होता है। इसमें दर्द या बेचैनी भी हो सकती है। वहीं बेली फैट मुलायम होता है और आप उसे उंगलियों से पकड़ सकते हैं। अगर खाना खाने के बाद पेट ज्यादा बाहर निकल आता है और कुछ घंटों या अगले दिन तक सामान्य हो जाता है, तो यह ब्लोटिंग है। लेकिन अगर पेट का आकार हफ्तों या महीनों में धीरे-धीरे बढ़ा है और लगातार वैसा ही बना हुआ है, तो यह बेली फैट होने की संभावना है।

ब्लोटिंग और बेली फैट से कैसे निपटें

ब्लोटिंग से बचने के लिए मैं मरीजों को सलाह देता हूं कि वे भोजन धीरे-धीरे चबाकर खाएं, बहुत ज्यादा एक साथ न खाएं, पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं और उन चीजों से बचें जिनसे गैस बनती है। प्रोबायोटिक फूड्स और नियमित टॉयलेट की आदत भी इसमें मददगार होती है। अगर ब्लोटिंग लंबे समय तक बनी रहे, तो डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।

बेली फैट कम करने के लिए किसी त्वरित उपाय की बजाय लाइफस्टाइल में स्थायी बदलाव जरूरी हैं। संतुलित आहार, नियमित एक्सरसाइज, अच्छी नींद और तनाव को कंट्रोल करना बेहद अहम है। शुगर, जंक फूड और शराब का सेवन कम करने से भी पेट की चर्बी घटाने में मदद मिलती है।

(डॉ. सुरंजित चटर्जी, इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट, अपोलो हॉस्पिटल्स, दिल्ली)

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