कब्ज (Constipation) केवल एक समस्या नहीं है, बल्कि यह शरीर का एक संकेत है कि आपका पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। जब मल (Stool) बहुत सख्त हो जाता है और पेट पूरी तरह साफ नहीं होता, तो उसे कब्ज कहते हैं। कब्ज होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे फाइबर की कमी, पानी कम पीना, शारीरिक सक्रियता की कमी, दवाओं का दुष्प्रभाव,उम्र बढ़ने के साथ मेटाबॉलिज्म और आंतों की ताकत कम होना शामिल है। कब्ज होने पर बॉडी में कुछ लक्षण (Symptoms) दिखने लगते हैं जैसे  सप्ताह में 3 बार से कम मल त्याग करना, मल का बहुत सख्त, सूखा या गांठदार होना, पेट में हमेशा भारीपन, गैस और अफारा महसूस होना।

मल त्याग के दौरान बहुत अधिक जोर लगाना, जीभ का मटमैला होना और मुंह से दुर्गंध आना शामिल है। अगर लम्बे समय तक कब्ज का इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर बीमारियों का रूप ले सकता है। पाइल्स, फिशर,हर्निया और स्किन की समस्याएं पेट साफ नहीं होने के कारण होती हैं। 50 साल की उम्र के बाद कब्ज की दिक्कत ज्यादा होती है। कब्ज दूर करने के कुछ गोल्डन रूल्स हैं जैसे सुबह उठते ही गुनगुना पानी पीना, चोकर युक्त आटा खाना,सोने का समय तय करना,नेचुरल लैक्सेटिव जैसे त्रिफला चूर्ण या ईसबगोल की भूसी का सेवन करना शामिल है।

आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी के मुताबिक कब्ज का इलाज करने के लिए आप देसी और असरदार तरीकों को अपनाएं। कुछ फल ऐसे हैं जो कब्ज का तोड़ हैं, जिनका सेवन करने से क्रॉनित कब्ज से भी छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते हैं कि कब्ज का इलाज करने में कौन-कौन से फल असरदार साबित होते हैं।

पपीता पाचन का उस्ताद  (Papaya)

पपीता पाचन तंत्र के लिए सबसे भरोसेमंद फल माना जाता है। इसमें मौजूद पपाइन (Papain) एंजाइम प्रोटीन को तोड़कर भोजन को जल्दी पचाने में मदद करता है। साथ ही इसमें घुलनशील फाइबर होता है, जो आंतों की गति को सुधारता है और मल को साफ बाहर निकालने में मदद करता है। रोज सुबह खाली पेट पका हुआ पपीता खाने से गैस, अपच और कब्ज की समस्या धीरे-धीरे कम होने लगती है।

 आलूबुखारा सबसे शक्तिशाली इलाज  (Prunes)

सूखा आलू बुखारा यानी प्रून्स कब्ज के लिए सबसे असरदार प्राकृतिक उपायों में गिना जाता है। इसमें सॉर्बिटोल नामक तत्व होता है, जो प्राकृतिक लैक्सेटिव की तरह काम करता है और मल को नरम बनाता है। साथ ही इसमें फाइबर और पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जो आंतों के बैक्टीरिया को एक्टिव रखते हैं। रात में 3–5 प्रून्स पानी में भिगोकर सुबह खाने से पेट आसानी से साफ होता है।

कीवी आंतों की करती है सफाई  (Papaya)

कीवी  एक ऐसा फल है जो छोटा जरूर है, लेकिन पाचन के लिए बेहद ताकतवर फल है। इसमें मौजूद ऑक्टेनीडिन एंजाइम प्रोटीन के पाचन को बेहतर बनाता है और आंतों की सफाई में मदद करता है। कीवी में घुलनशील फाइबर भी भरपूर होता है, जो मल को नर्म बनाकर पेट पर दबाव कम करता है। रोजाना 1–2 कीवी खाने से कब्ज, पेट फूलना और भारीपन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

अंजीर फाइबर का खजाना  (Figs) 

अंजीर को कब्ज के लिए आयुर्वेदिक रामबाण माना जाता है। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह का फाइबर होता है, जो आंतों को सक्रिय करता है। सूखे अंजीर में प्राकृतिक शुगर और म्यूसिलेज होता है, जो मल त्याग को आसान बनाता है। रात में 2-4 अंजीर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट चबाकर खाने से पुरानी कब्ज की समस्या में भी धीरे-धीरे सुधार देखा जाता है।

नाशपाती छिलके के साथ खाएं  (Pear) 

नाशपाती एक हाई-फाइबर फल है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है। इसमें सॉल्युबल और इनसोल्युबल फाइबर दोनों मौजूद होते हैं, जो आंतों की मूवमेंट को सुधारते हैं। नाशपाती में मौजूद फ्रक्टोज और पानी की मात्रा मल को नर्म बनाती है। इसे हमेशा छिलके के साथ खाना चाहिए, क्योंकि सबसे ज्यादा फाइबर छिलके में ही पाया जाता है।

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