तनाव जिंदगी का हिस्सा बन गया है। बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों में सभी के पास किसी न किसी तरह का तनाव है। ये तनाव हमारी बॉडी पर साइलेंट किलर का काम करता है। तनाव कई क्रॉनिक बीमारियों का कारण बनता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और थॉयराइड ऐसी क्रॉनिक बीमारियां हैं जिसके लिए तनाव भी भागीदार है। तनाव का कनेक्शन यूरिन से भी जुड़ा है। जब हम तनाव में होते हैं तो हमारा दिमाग ब्लैडर को गलत सिग्नल देता है और हमें बार-बार पेशाब आता है।

अक्सर आपने नोट किया होगा कि मीटिंग से पहले, बहस के दौरान,अचानक बढ़ी हुई चिंता में हमें पेशाब तेज आता है और यूरिन डिस्चार्ज करने की इच्छा पर कंट्रोल नहीं रहता। इस परेशानी को ‘Anxiety Bladder’ कहा जाता है। यह एक ऐसी परेशानी है जिस पर लोगों का ध्यान बहुत कम जाता है। पेशाब और तनाव से जुड़ी इस परेशानी के बारे में जानने के लिए हम डॉक्टर से जानते हैं सारी सच्चाई।

तनाव और यूरिन का कनेक्शन

अपोलो हॉस्पिटल्स, ग्रीम्स रोड, चेन्नई के यूरोलॉजिस्ट डॉ. संदीप बाफना बताते हैं कि तनाव में अचानक पेशाब लगने के बीच का संबंध बिल्कुल वास्तविक है। एक्सपर्ट ने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया हैं कि तनाव या एंग्जायटी में अचानक पेशाब लगना सिर्फ आपके दिमाग का फितूर नहीं बल्कि ये सच में होता है। एक्सपर्ट ने बताया मूत्राशय (ब्लैडर) और दिमाग के बीच गहरा संबंध होता है। जब शरीर तनाव या चिंता की स्थिति में होता है, तो हार्मोनल बदलाव सीधे ब्लैडर के व्यवहार को प्रभावित करते हैं, जिससे पेशाब की इच्छा तेज़ हो जाती है। डॉ. बाफना के मुताबिक इस माइंड–बॉडी कनेक्शन को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि व्यक्ति घबराने के बजाय स्थिति को संभाल सके।

तनाव में यूरिन कंट्रोल करने के लिए क्या करें? 

एक्सपर्ट ने सुझाव दिया तनाव में यूरिन की समस्या को कंट्रोल करने के लिए आप सबसे पहले खुद को शांत करें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीएं। तनाव को कंट्रोल करने के लिए मेडिटेशन करें। योग और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ तनाव कंट्रोल करने में मदद करती हैं।  इससे ब्लैडर साइकिल को रीसेट करने में मदद मिलती है और यूरिन पर कंट्रोल बेहतर होता है।

तनाव हार्मोन ब्लैडर को कैसे प्रभावित करता हैं?

बेंगलुरु स्थित KIMS हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर और लीड कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रीहर्षा हरिनाथ बताते हैं कि तनाव या चिंता के समय शरीर में एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन रिलीज़ होते हैं। ये हार्मोन fight or flight response को एक्टिव करते हैं, जिससे नसें और मांसपेशियां ज़्यादा संवेदनशील हो जाती हैं, इसमें ब्लैडर भी शामिल है। यही प्रतिक्रिया कई बार ब्लैडर को भी ओवरएक्टिव कर देती है, जिससे अचानक पेशाब की इच्छा महसूस होती है। कुछ लोग इस प्रतिक्रिया के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होते हैं जैसे जिनका नर्वस सिस्टम ज़्यादा रिएक्टिव होता है, जिन्हें पहले ब्लैडर इरिटेशन हो चुका हो या  जिन्हें एंग्जायटी डिसऑर्डर है। ऐसे लोगों में तनाव के दौरान यह समस्या ज़्यादा बार और ज़्यादा तेज़ हो सकती है।

तनाव से होने वाली पेशाब की इच्छा और यूरिन से जुड़ी बीमारी में अंतर कैसे करें?

  • तनाव की वजह से  यूरिनरी अर्जेंसी आमतौर पर सिर्फ तनाव, डर या घबराहट के समय होती है। तनाव कम होते ही ये ठीक हो जाती है। इसमें जलन, दर्द, बुखार या पेशाब के रंग में बदलाव नहीं होता।
  • अगर यूरिन से जुड़ी परेशानी की वजह से बार-बार यूरीन आता है या फिर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होता है तो पेशाब में जलन, बदबूदार या धुंधला पेशाब आना,पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, कभी-कभी बुखार होना शामिल है।
  • ओवरएक्टिव ब्लैडर में दिन-रात बार-बार पेशाब लगता है, लगातार अर्जेंसी रहती है, तनाव न होने पर भी  कभी-कभी पेशाब लीक होता है।
    डॉ. हरिनाथ ने बताया अगर पेशाब की इच्छा बार-बार हो, नींद में उठना पड़े या दर्द के साथ पेशाब हो तो जांच करना ज़रूरी है।

लंबे समय तक यूरिन से जुड़ी बीमारी से बचने के उपाय

    • डॉ. हरिनाथ के अनुसार, तनाव को कंट्रोल करना सबसे अहम है। इसके लिए नियमित एक्सरसाइज़ करना, डीप ब्रीदिंग, योग और माइंडफुलनेस, कैफीन, शराब और तीखे खाने से परहेज़ करें।
    • ब्लैडर ट्रेनिंग भी कारगर है जिसमें धीरे-धीरे पेशाब के बीच का समय बढ़ाया जाता है। ब्लैडर को ज़्यादा देर तक होल्ड करना सिखाया जाता है।
    • पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज़ करें फायदा होगा।
    • सही नींद भी जरूरी है। ऐसी स्थिति में ज़रूरत से ज़्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।
    • लंबे समय की एंग्जायटी में साइकोलॉजिकल सपोर्ट लेना भी जरूरी है।
    • इन सब से समय के साथ लक्षणों में काफ़ी सुधार हो सकता है।

    डॉक्टर की सलाह

    अगर पेशाब के दौरान दर्द हो, रात में नींद खुल जाए या तनाव न होने पर भी पेशाब लीक हो, तो तुरंत यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

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