Lung Cancer: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज यदि सही समय पर नहीं किया जाए तो यह मौत का कारण बन सकता है। हालांकि अब इसके कई प्रकार के इलाज आ चुके हैं। लेकिन हाल ही में गूगल के कुछ इंजिनियर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नामक एक मॉडल विकसित किया है जो आपको लंग कैंसर में बारे में बताने में मदद करेगा। यह मॉडल डॉक्टरों से जल्दी और बेहतर तरीके से लंग कैंसर का पता लगा सकता है। आंकड़ों की देखें तो बाकी कैंसर की तुलना में लंग कैंसर के कारण मरने वाले लोगों की संख्या अधिक है।

रिसर्चर के अनुसार डीप लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक फॉर्म है। इसमें कम्प्यूटर को कुछ इस प्रकार ट्रेन किया है कि यह फेफड़ों के कैंसर का जल्द और बेहतर तरीके से पता लगा ले। यह मॉडल रेडियोलॉजिस्ट की तुलना में काफी बेहतर है। इस डीप लर्निंग सिस्टम में पहले किए गए सीटी स्कैन और मरीजों के इनपुट पर किए गए सीटी स्कैन दोनों का इस्तेमाल किया जाता है।

पहले से लिए गए सीटी स्कैन की मदद से फेफड़ों में कैंसर का पता लगाना आसान होता है और काफी मददगार भी होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस जांच से फेफड़ों में होने वाले कैंसर की गांठ के ग्रोथ रेट का तेजी से पता लगाया जा सकता है। इस खास AI(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ने 6 से भी अधिक रेडियोलॉजिस्ट को मात दी है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैसे जांच करता है?
एक्सपर्ट्स की मानें तो आमतौर पर रेडियोलॉजिस्ट 2डी इमेजेज की जांच करता है लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 3डी इमेजेज की जांच करता है जिससे जल्द और बेहतर तरीके से लंग कैंसर का पता चल जाता है। बाकी रेडियोलॉजिस्ट की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अधिक सेंसिटिव होता है जो लंग कैंसर का पता लगा लेता है। रेडियोलॉजिस्ट  की आंखों की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी प्रभावी होता है और कैंसर का पता लगा लेता है।

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