खाने में घी खाने का चलन सदियों पुराना है। हम भारतीय दिन भर के खाने में घी का सेवन रोटी पर, दाल में तड़का लगाकर और सब्जी में सदियों से करते आ रहे हैं। घी का सेवन प्राचीन काल से हो रहा है, इसके उपयोग का इतिहास कम से कम 5,000 साल पुराना माना जाता है। घी की शुरुआत वैदिक काल में हुई मानी जाती है, यानी यह परंपरा 1500 ईसा पूर्व से भी पुरानी हो सकती है। प्राचीन भारत में घी को भोजन के साथ-साथ धार्मिक और चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जाता था। आयुर्वेद में घी को “सात्विक आहार” माना गया है और इसे बॉडी, ब्रेन और पाचन तंत्र के लिए लाभकारी बताया गया है। हम भारतीय जहां घी पर ज्यादा जोर देते हैं वहीं विदेशों में मक्खन को ज्यादा तरजीह दी जाती है, हालांकि दोनो फूड एनिमल बेस्ड फूड है जो दूध से बनते हैं।

अक्सर विदेश में माना जाता है कि बटर हर चीज को बेटर बना देता है। मक्खन  21वीं सदी का एक प्रमुख आहार बनता जा रहा है जिसका सेवन लोग सैंडविच के साथ,ब्रेड या पराठे पर लगाकर,दाल या सब्ज़ी में तड़का लगाकर,पके हुए खाने में मिलाकर,बेकिंग में उपयोग, कुछ लोग मक्खन को घी की जगह रोटी या चावल में डालकर खाते हैं। मक्खन एक ऐसा फूड है जिसमें सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है, जिसका अधिक सेवन करने पर कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा अधिक होता है। प्रोसेस्ड या नकली बटर सेहत के लिए और भी बदतर होता है। मक्खन का सेवन अगर रोज किया जाए तो इससे दिल के रोगों का खतरा बढ़ सकता है।

रजिस्टर्ड डायटीशियन कैंडेस ओ नील कहती हैं कि घी और बटर में अगर बेस्ट फूड को चुनना हो तो आप घी को चुन सकते हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि घी और मक्खन दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है। घी एक सुपरफूड है जो न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसका सेवन करने से वजन भी कंट्रोल रहता है। ये पाचन को बेहतर बनाता है। आइए एक्सर्ट से जानते हैं कि घी और मक्खन दोनों में क्या अंतर है और दोनों सेहत पर कैसे असर करते हैं। 

घी कैसे बटर से बेटर है?

पारंपरिक भारतीय और पूर्वी एशियाई पकवानों में घी सदियों से एक पसंदीदा विकल्प रहा है। ओ नील कहती हैं कि घी का स्वाद मक्खन की तुलना में अधिक पौष्टिक और बेहतर होता है। कई लोग घी को इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि इसका स्मोक पॉइंट यानी वो तापमान जिस पर तेल पकाते समय धुआं छोड़ने लगता है, मक्खन की तुलना में अधिक होता है। एक्सपर्ट घी का सेवन मक्खन की तरह करने की सलाह देती हैं।

घी या मक्खन, किस में है हेल्दी फैट?

ओ नील कहती हैं कि घी के फायदों को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है लेकिन इसमें मौजूद वसा और विटामिन की मात्रा लगभग मक्खन के बराबर ही होती है।

क्या घी डेयरी-फ्री होता है?

घी पूरी तरह से डेयरी-फ्री नहीं होता, लेकिन यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो लैक्टोज इन्टॉलरेंट हैं। इसका कारण यह है कि घी में लैक्टोज और केसिन की मात्रा बेहद कम होती है जबकि मक्खन में यह मात्रा बहुत कम होती है। एक्सपर्ट ने बताया कुछ लोग पाचन संबंधी कारणों से डेयरी से बचते हैं, वे घी को मक्खन की तुलना में बेहतर पचा सकते हैं। सामान्यत मक्खन भी उनके लिए ठीक हो सकता है क्योंकि इसमें लैक्टोज और केसिन की मात्रा बहुत कम होती है। जिन लोगों को केसिन से एलर्जी है उन्हें घी और मक्खन से बचना चाहिए। क्योंकि इनमें क्रॉस-कंटैमिनेशन (एक-दूसरे से मिलावट) का खतरा हो सकता है।”

क्या घी पाचन और कोलन हेल्थ के लिए बेहतर है?

डेयरी प्रोडक्ट में ब्यूटी रेट नामक एक फैटी एसिड होता है, जो कोलन की कोशिकाओं की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है और उन्हें पुनर्जीवित करने में मदद करता है। घी को ब्यूटी रेट का अच्छा स्रोत माना जाता है, लेकिन ओ नील कहती हैं घी में केवल 1% ब्यूटी रेट होता है, जो बहुत ही कम मात्रा है। फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और दालें आपके शरीर में ब्यूटी रेट जैसे फैटी एसिड के उत्पादन को बढ़ाते हैं, कोलन स्वास्थ्य के लिए यही बेहतर तरीका है।

क्या घी वजन घटाने में मददगार है?

घी मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है जिसकी वजह से वजन घटाना आसान होता है। ओ नील कहती हैं कि  घी में एमसीटी (मीडियम-चेन ट्राइग्लिसराइड) होता है जो वजन घटाने में मदद कर सकता है। लेकिन घी में इसकी मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए एमसीटी पाने के लिए घी सबसे अच्छा स्रोत नहीं है। घी और मक्खन में  कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड भी होता है, जो फैट घटाने में मदद कर सकता है, लेकिन घी में इसकी मात्रा भी बहुत कम होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर दोनों फूड की तुलना की जाए तो इसमें घी ज्यादा बेहतर है।  

डायबिटीज का दुश्मन हैं ये 4 वर्कआउट्स, 400 mg/dL शुगर भी हो जाएगा मिनटों में नॉर्मल, रक्त शर्करा हो जाएगा मैनेज। पूरी खबर की जानकारी लेना चाहते हैं तो आप लिंक पर क्लिक करें।