6 Common Myths about Ghee: सर्दियों में जब गर्म-गर्म रोटी पर घी की परत लग जाती है, तो न सिर्फ खाने का स्वाद दोगुना हो जाता है बल्कि शरीर को भी जबरदस्त गर्माहट और पोषण मिलता है। घी ठंड के मौसम में शरीर को अंदर से ऊर्जा देता है, इम्यूनिटी मजबूत करता है और स्किन की नमी बनाए रखने में भी मदद करता है। आयुर्वेद में घी को रसायन यानी पुनर्जीवित करने वाला खाद्य माना गया है, जो पाचन शक्ति बढ़ाता है, दिमाग को तेज करता है और जोड़ों में लुब्रिकेंट बनाए रखता है।
घी में मौजूद हेल्दी फैटी एसिड्स शरीर की कोशिकाओं को पोषण देते हैं और ठंड में होने वाली थकान, कमजोरी और सुस्ती को कम करते हैं। इसके अलावा, घी विटामिन A, D, E और K से भरपूर होता है, जो स्किन, हड्डियों और हार्मोन बैलेंस में मदद करते हैं। नियमित लेकिन सीमित मात्रा में घी का सेवन दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है।
अक्सर लोगों का मानना है कि घी खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और दिल के रोगों का खतरा भी बढ़ता है, लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या सचमुच घी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और दिल के मरीजों के लिए खतरा बनता है। हार्वर्ड-ट्रेंड इंटीग्रेटेड हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. आकांक्षा पांडे ने बताया घी को कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाला मानना काफी हद तक गलतफहमी पर आधारित है। एक्सपर्ट ने बताया 1950 के दशक में डाइट-हार्ट हाइपोथिसिस के कारण सैचुरेटेड फैट को दिल की बीमारी का कारण माना गया। लेकिन ये शुरुआती रिसर्च निरीक्षण आधारित थीं जो आधुनिक RCTs जितनी मजबूत नहीं। इसी कारण घी को दशकों तक गलत समझा गया। आइए जानते हैं कि घी को लेकर लोगों में कौन-कौन से मिथक है जिनको जानना बेहद जरूरी है।
Myth 1: घी में संतृप्त वसा होता है और यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ाता है।
घी में सैचुरेटेड फैट जरूर होता है, लेकिन इसकी संरचना बाकी वसा से अलग है। घी में अधिक मात्रा में शॉर्ट-चेन फैटी एसिड होते हैं, खासकर ब्यूटिरिक एसिड, जो शरीर में जल्दी ऊर्जा में बदले जाते हैं और हानिकारक LDL की तरह जमा नहीं होते। सही मात्रा में घी खाने से लिपिड प्रोफाइल पर नकारात्मक असर नहीं पड़ता। असली समस्या हार्डनिंग, ट्रांस फैट, चीनी और तनाव से बनते ऑक्सीडाइज़्ड LDL से होती है, न कि दो चम्मच घी से। मॉडरेशन में घी पाचन और बाइल फ्लो को बेहतर करता है।
Myth 2: घी उतना ही खराब है जितना मार्जरीन या प्रोसेस्ड बटर।
यह गलत है। घी प्राकृतिक रूप से धीमी आंच पर पकाकर बनाया जाता है, जिससे दूध के ठोस भाग हट जाते हैं और शुद्ध वसा बचता है। यह लगभग लैक्टोज-फ्री और केसिन-फ्री होता है, जबकि मार्जरीन और कई प्रोसेस्ड बटर में ट्रांस फैट और रसायन पाए जाते हैं जो हानिकारक हैं। घर का बना घी SCFAs, CLA, विटामिन A, D, E, K से भरपूर होता है। जबकि बाज़ार में बिकने वाला अत्यधिक गर्म किया हुआ घी अपने प्राकृतिक गुण खो देता है। इसलिए घी की तुलना प्रोसेस्ड वसा से नहीं की जा सकती।
Myth 3: घी में कोलेस्ट्रॉल होता है, इसलिए इसे दिल के मरीजों को नहीं खाना चाहिए?
हालांकि घी में डाइटरी कोलेस्ट्रॉल होता है, लेकिन यह खून के कोलेस्ट्रॉल को उतना नहीं बढ़ाता जितना पहले माना जाता था। शरीर की अधिकतम कोलेस्ट्रॉल की मात्रा लिवर खुद बनाता है। जब आप डाइट से कोलेस्ट्रॉल खाते हैं, तो शरीर इसका उत्पादन कम कर देता है। दिल के मरीजों के लिए असली खतरा ट्रांस फैट, अत्यधिक तेल, मीठा और खराब लाइफस्टाइल है, न कि सही मात्रा में लिया गया घी। एक्सपर्ट के मुताबिक 1–2 चम्मच घी कई लोगों के लिए सुरक्षित होता है।
Myth 4: घी हार्ट-फ्रेंडली नहीं है और पोषक तत्वों में कमजोर है?
घी में दिल की सेहत के लिए ज़रूरी विटामिन K2 मौजूद होता है, जो कैल्शियम को धमनियों की बजाय हड्डियों तक पहुंचाने में मदद करता है। ये धमनियों में कैल्सीफिकेशन रोकने में उपयोगी है, जो दिल की बीमारी का बड़ा कारण है। घी का स्मोक पॉइंट भी बहुत अधिक है, जिससे यह उच्च ताप पर पकाने में सुरक्षित है और फ्री रेडिकल्स नहीं बनाता। इसमें CLA और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो सूजन और दिल से संबंधी जोखिम कम करते हैं। इसलिए घी पोषण से भरपूर है।
Myth 5: हेल्दी कोलेस्ट्रॉल के लिए घी छोड़कर लो-फैट तेल इस्तेमाल करें।
घी हेल्दी फैट्स का बेहतरीन स्रोत है, लेकिन लोग हेल्दी फैट्स के लिए घी के बजाय दूसरे तेल इस्तेमाल करने पर जोर देते हैं जो गलत है। कई रिफाइंड तेल अत्यधिक प्रोसेसिंग के कारण ओमेगा-6 फैटी एसिड में बहुत अधिक होते हैं, जो ज़्यादा गर्म होने पर सूजन बढ़ाते हैं। जबकि घी में सही मात्रा में ओमेगा-3, CLA और SCFAs होते हैं, खासकर यदि यह घास खिलाए गए गाय के दूध से बना हो। रिफाइंड तेल पूरी तरह से घी की जगह नहीं ले सकते। घी का संतुलित उपयोग करें सूजन और हार्ट रिस्क कम कर हो सकता है।
Myth 6: घी लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
ज्यादा मात्रा में घी हर चीज की तरह नुकसान कर सकता है, खासकर फैटी लिवर वाले लोगों को। लेकिन उचित मात्रा में घी लिवर के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि यह बाइल रिलीज़ बढ़ाता है और वसा को बेहतर तरीके से पचाने में मदद करता है। लिवर कमजोर होने पर ज्यादा घी नहीं खाना चाहिए, लेकिन पूरी तरह घी को दोष देना गलत है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि हल्के गर्म भोजन के साथ थोड़ा घी पाचन और लिवर दोनों को सपोर्ट करता है। जरूरत सिर्फ मात्रा नियंत्रित करने की है।
Myth 7: घी सिर्फ सर्दियों में खाना चाहिएय़
घी हर मौसम में खाया जा सकता है, बस मात्रा मौसम के अनुसार बदलनी चाहिए। गर्मियों में 1 चम्मच, सर्दियों में थोड़ा ज्यादा लिया जा सकता है। घी हर मौसम में पाचन, पोषक तत्वों के अवशोषण, त्वचा और हार्मोन बैलेंस को सपोर्ट करता है। घी को सिर्फ विंटर फूड मानना गलत है। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्मियों में भी ताज़ा पके भोजन में थोड़ा घी पाचन में मदद करता है और शरीर में ठहराव नहीं करता।
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