Women Health: महिलाओं में किसी भी चीज को सहने की क्षमता पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। लेकिन फिर भी किसी बीमारी से ग्रस्त होने का महिलाओं को ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब बात अपनी सेहत की होती है तो महिलाएं लापरवाही बरतने लगती हैं। ऐसे में कई गंभीर बीमारियों की भनक महिलाओं को तब लगती है जब वो शरीर पर धावा बोल चुका होता है। इतना ही नहीं, कभी-कभी तो विटामिन्स व अन्य पोषक तत्वों की कमी भी पहचान में नहीं आ पाती है जो महिलाओं की स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। आइए जानते हैं उन पोषक तत्वों के बारे में जिनकी कमी महिलाओं में देखने को मिलती है –
विटामिन ए – ये मुख्य रूप से आंखों की रोशनी को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। इसकी कमी से आंखों में सूखेपन से लेकर अंधेपन तक की शिकायत हो सकती है।
विटामिन सी – कोलेजन फॉर्मेशन और शरीर में आयरन के अवशोषण में विटामिन सी मदद करता है। ऐसे में इसकी कमी से लोगों को स्कर्वी (जिसमें मसूड़ों से खून आता है) बीमारी हो सकती है। इसके अलावा, घाव भरने में समय लगना, फीवर और इंफेक्शन भी विटामिन-सी की कमी का लक्षण है।
विटामिन डी – इम्युनिटी से लेकर हड्डियों को मजबूत करने में विटामिन डी की भूमिका अहम होती है। इसकी कमी महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस, PCOS और बांझपन का कारण बन सकती है।
विटामिन ई – एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट एजेंट माना जाता है। इसकी कमी से एनीमिया हो सकता है।
विटामिन के – ब्लड क्लॉट करने और हड्डियों के विकास में विटामिन के जरूरी है। इसकी कमी से ब्लीडिंग डिसॉर्डर हो सकता है।
विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स – ये विटामिन नर्वस सिस्टम, गैस्ट्रो-इंटेस्टिनल सिस्टम और कार्डियोवास्कुलर सिस्टम को बेहतर करने में मदद करता है। इसकी कमी से बेरीबेरी नामक बीमारी हो सकती है जिसमें शरीर के कई हिस्सों में दर्द या फिर पैरेलिसिस हो सकता है।
रिबोफ्लेविन – ये विटामिन बी का ही एक कॉम्पोनेंट है जो खासकर दूध में पाया जाता है। इसकी कमी से फटे होंठ और जीभ में सूजन या लाली की शिकायत हो सकती है।
फोलेट – हीमोग्लोबिन और DNA के फॉर्मेशन में फोलेट यानी फॉलिक एसिड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके अनियमित होने से भ्रूण में रीढ़ संबंधी विकार, मिसकैरेज और समय से पहले प्रसव की समस्या हो सकती है।