कई लोगों को एक तरफ सिरदर्द होता है, लेकिन यह सामान्य सिरदर्द से कहीं ज्यादा गंभीर होता है। माइग्रेन एक ऐसा सिरदर्द है जो सिर के एक तरफ होता है। माइग्रेन में तेज सिरदर्द होता है, जो घंटों या कई दिनों तक बना रह सकता है। यह तेज रोशनी, तेज आवाज, तनाव, नींद की कमी या गलत खानपान, विटामिन की कमी के कारण ट्रिगर हो सकता है। अगर, आप भी माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं तो कुछ फूड्स को खाने से दूरी बना लें, क्योंकि इनका सेवन माइग्रेन की समस्या बढ़ा सकता है। मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट और निदेशक डॉ. सोनिया लाल गुप्ता ने बताया कि माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए किन फूड्स को नहीं खाना चाहिए और कैसे बचाव किया जा सकता है।

डॉ. सोनिया लाल गुप्ता के मुताबिक, माइग्रेन एक जटिल तंत्रिका संबंधी समस्या है, जो कई ट्रिगर्स से शुरू हो सकती है। कुछ फूड्स में मौजूद टायरामाइन नाइट्रेट्स, हिस्टामाइन और कैफीन माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में खानपान से लेकर लाइफस्टाइल का खास ध्यान रखना चाहिए।

पनीर या खट्टे फूड

लंबे समय तक रखे जाने वाले पनीर या किण्वित फूड्स में टायरामाइन नामक रसायन प्रचुर मात्रा में होता है। यह रक्त वाहिकाओं और न्यूरोट्रांसमीटर को बाधित कर सकता है और माइग्रेन को बढ़ा सकता है। लंबे समय तक रखे जाने वाले पनीर, जैसे चेडर, पार्मेजान और ब्लू चीज, इस टायरामाइन से भरपूर होते हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार, ये फूड्स माइग्रेन को ट्रिगर करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यहां तक कि दही और छाछ भी कुछ लोगों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे में लंबे समय तक रखे जाने वाले या किण्वित फूड्स का सेवन सीमित करना चाहिए। केवल ताजा दूध और दही ही खाएं। आप पार्मेजान और चेडर चीज की जगह रिकोटा या मोजेरेला चीज ले सकते हैं।

प्रोसेस्ड मीट

बेकन, डेली मीट और हॉट डॉग जैसे प्रोसेस्ड मीट नाइट्रेट्स, नाइट्राइट्स और टायरामाइन से भरपूर होते हैं। इन्हें रक्त वाहिकाओं में होने वाले परिवर्तनों से जोड़ा गया है, जो माइग्रेन को ट्रिगर करते हैं। शोध से पता चला है कि प्रोसेस्ड मीट का बार-बार सेवन माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। इस प्रकार के मीट में पाए जाने वाले नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स रक्त वाहिकाओं को फैलाकर सिरदर्द का कारण बनते हैं। जो लोग माइग्रेन से बचना चाहते हैं, उन्हें केवल ताजा मीट ही खरीदना और इस्तेमाल करना चाहिए।

रेड वाइन

शराब पीने वालों में माइग्रेन आम है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शराब और रेड वाइन में हिस्टामाइन, टायरामाइन, सल्फाइड और टैनिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये रक्त वाहिकाओं को फैलाते हैं और सूजन या तंत्रिका संबंधी प्रभाव पैदा करते हैं। 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, माइग्रेन से पीड़ित 35 प्रतिशत से ज्यादा लोग शराब पीते थे। इनमें से 77 प्रतिशत रेड वाइन पीने वाले थे। शराब से निर्जलीकरण भी हो सकता है। इससे सिरदर्द और भी बदतर हो सकता है। इसका समाधान शराब का सेवन कम करना है। खासकर रेड वाइन, जिसमें हिस्टामाइन प्रचुर मात्रा में होता है। ऐसे में इससे पूरी तरह बचना चाहिए।

कैफीन से भरपूर फूड

कॉफी, चाय, चॉकलेट और कुछ ड्रिंक्स कैफीन से भरपूर होते हैं। हालांकि, कैफीन माइग्रेन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है, लेकिन अत्यधिक कैफीन का सेवन या अचानक कैफीन बंद करने से माइग्रेन हो सकता है। चॉकलेट में मौजूद कुछ तत्व, जैसे कैफीन और थियोब्रोमाइन कुछ लोगों में सिरदर्द का कारण बन सकते हैं।

वहीं, द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि रोजाना सिर्फ 7,000 कदम चलना भी स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए काफी हो सकता है।