बवासीर (Piles/Hemorrhoids) एक आम लेकिन बेहद तकलीफ देने वाली समस्या है, जिसका सबसे बड़ा कारण लंबे समय तक रहने वाली कब्ज की बीमारी है। जब मल लंबे समय तक आंतों में रुकता है तो वह सख़्त हो जाता है, जिससे शौच के दौरान जोर लगाना पड़ता है। यही दबाव एनस (गुदा) के आसपास की नसों पर सूजन, जलन और दर्द का कारण बनता है।

यदि ये सूजन ज्यादा बढ़ जाए तो मल त्याग के समय खून आना (Bleeding Piles) शुरू हो सकता है। कई बार खून की मात्रा अधिक होने से कमजोरी और एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में कब्ज से बचना, फाइबर युक्त भोजन लेना, पानी पर्याप्त मात्रा में पीना और समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है।

बवासीर को शुरुआती स्तर पर सही देखभाल और लाइफस्टाइल बदलाव से बीमारी के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है, जबकि गंभीर स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी होता है। आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी के मुताबिक अगर आप पाइल्स के मरीज हैं तो आपको ऐसी चीजें ज्यादा खानी चाहिए जो लैक्जिटिव होती है और स्टूल को सॉफ्ट करती हैं। कुछ फूड्स स्टूल को सॉफ्ट करते हैं और बवासीर के लक्षणों को कंट्रोल करते हैं। अंजीर और इसबगोल दो ऐसे फूड हैं जो मल को सॉफ्ट बनाते हैं और बवासीर के लक्षणों को कंट्रोल करते हैं। आइए जानते हैं कि सर्दी में बवासीर का इलाज कैसे करें।

इसबगोल का सेवन करें

इसबगोल एक नेचुरल घुलनशील फाइबर है जो पेट और आंतों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। बवासीर के मरीजों के लिए ये दवा का काम करता है। यह हर्ब कब्ज को जड़ से खत्म करने में मदद करता है, जो बवासीर का सबसे बड़ा कारण है। ये जेल मल को सॉफ्ट करता है, जिससे मल त्याग आसानी से हो जाता है और जोर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसबगोल में मौजूद फाइबर मल का आकार बढ़ाता है, मल को चिकना और आसानी से डिस्चार्ज करने में मदद करता है। इससे एनस पर दर्द, जलन और खून आना कम होता है। ये आंतों की सफाई करता है। इसबगोल का सेवन करने से पाचन ठीक रहता है और आंतों की मूवमेंट नियमित रूप से होती है।

अंजीर खाएं बवासीर के लक्षण होंगे कंट्रोल

अंजीर प्राकृतिक रूप से फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और पेक्टिन से भरपूर होती है जो बवासीर के सबसे बड़े कारण कब्ज, सूजन, दर्द और खून को कम करने में मदद करती है। अंजीर का सेवन करने से कब्ज दूर होता है और मल डिस्चार्ज करना आसान होता है। अंजीर में घुलनशील फाइबर और पेक्टिन होता है जो मल को मुलायम बनाता है। इससे मल त्याग बिना दर्द के, आसानी से होता है। ये स्ट्रेनिंग कम करता है, जिससे बवासीर की सूजन बढ़ती नहीं। अंजीर आंतों की सफाई करती है और एनस के पास सूजन को कम करती है। अंजीर में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं। अंजीर का फाइबर मल में नमी बनाए रखता है, जिससे एनल एरिया में जलन, खुजली और इरिटेशन कम होता है।

हाई फाइबर फूड खाएं

हाई फाइबर फूड बवासीर के सबसे बड़े कारण कब्ज को दूर करते हैं। यह मल को मुलायम बनाते हैं, जिससे मल त्याग बिना दर्द और स्ट्रेनिंग के आसानी से हो जाता है। स्ट्रेनिंग कम होने से एनस की सूजन, दर्द और खून आना धीरे-धीरे कंट्रोल होता है। फाइबर आंतों की मूवमेंट को नियमित करता है, जिससे बवासीर दोबारा होने का खतरा भी घटता है। फाइबर आंतों में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाकर पाचन को मजबूत बनाता है। फाइबर रिच फूड्स में आप डाइट में सेब, नाशपाती, पपीता, केला और अंजीर खाएं। सब्जियों में आप ब्रोकली, गाजर, बींस और पालक का सेवन करें। आप फाइबर रिच अनाज जैसे  ओट्स, दलिया, जौ, ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन आटा का सेवन करें।

लम्बे समय तक नहीं बैठे

लंबे समय तक लगातार बैठने से गुदा और आसपास की नसों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे सूजन और दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है। बैठने से उस हिस्से में रक्त संचार धीमा हो जाता है, जिससे नसें ठीक से रक्त नहीं प्राप्त कर पाती और सूजन बनी रहती है। साथ ही, लंबे समय तक बैठने से पाचन धीमा होता है और कब्ज की समस्या बढ़ती है, जिससे मल कठोर हो जाता है। कठोर मल डिस्चार्ज करने पर एनस पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे बवासीर के दर्द, जलन और खून आने के लक्षण बढ़ जाते हैं।

दर्द और सूजन है तो आप आईसपैक से सिकाई करें

आईस पैक बवासीर में सूजन और दर्द को तुरंत कम करने में मदद करता है। ठंडी सिकाई नसों को संकुचित करती है जिससे एनस के आसपास रक्त प्रवाह कम होता है और सूजन घटती है। इसके अलावा ठंडक से जलन और इरिटेशन में भी राहत मिलती है। छोटे एक्सटर्नल पाइल्स या फटने (anal fissure) की स्थिति में आईस पैक आराम पहुंचाता है और मलत्याग के दौरान दर्द कम करता है। इसे दिन में 2–3 बार, 10–15 मिनट के लिए साफ कपड़े में लपेटकर लगाना चाहिए। यह अस्थायी राहत है, लेकिन कब्ज और फाइबर युक्त डाइट के साथ इस्तेमाल करने पर बवासीर कंट्रोल में रहता है।

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