फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है, जब लिवर पर वसा की मात्रा अधिक हो जाती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो इसके कारण लिवर सिरोसिर और कैंसर जैसे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। फैटी लिवर फिजिकल एक्टिविटी की कमी, आरामदायक जीवन-शैली और खराब खानपान के कारण होने वाली समस्याओं में से एक है। फैटी लिवर के लक्षण यूं तो जल्दी से सामने नहीं आते लेकिन इसके कारण पेट के बाएं हिस्से में दर्द, थकान, कमजोरी, उल्टी आना और भूख ना लगना जैसी परेशानियां होती हैं।
फैटी लिवर की यह समस्या दो तरह की होती है। एक एल्कोहलिक फैटी लिवर और दूसरा नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर। अधिक शराब के सेवन से एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या होती है, तो वह ओबेसीट, इंफेक्शन, डाइजेशन की प्रॉब्लम और तली-भुनी चीजों का अधिक सेवन करने से नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। हालांकि जीवन-शैली और खानपान में बदलाव कर, इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
अलसी के बीज: फैटी लिवर की समस्या से छुटकारा दिलाने में अलसी के बीज बेहद ही कारगर हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में जो लोग फैटी लिवर की बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें अलसी के बीज का नियमित तौर पर सेवन करना चाहिए।
ग्रीन टी: ग्रीन टी स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ लिवर की चर्बी को कम करने में भी मदद करती है। ऐसे में आप दिन में दो से तीन बार ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं।
आंवला: आंवला त्वचा और बालों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। साथ ही यह फैटी लिवर की समस्या से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आंवले में मौजूद क्यूरसेटिन फाइटोकेमिकल कोशिकाओं के स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन-सी की अच्छी-खासी मात्रा भी होती है। ऐसे में आप अपने रूटीन में आंवले का जूस शामिल कर सकते हैं।
मुलेठी: औषधीय गुणों से भरपूर मुलेठी विषाक्त पदार्थों को दूर और सूजन को कम करने में मदद करती है। इसके लिए एक गिलास पानी में मुलेठी की जड़ को उबाल लें। फिर इसका सेवन करें। इससे आपको फायदा मिल सकता है।