लिवर में फैट बढ़ने के साथ ही सूजन बढ़ने की समस्या बढ़ जाती है, जिससे इस शरीर के कई अन्य अंग के डैमेज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। शरीर के लिए प्रोटीन का निर्माण की बात हो या फिर शरीर से विषैले पदार्थों को दूर करने से लेकर खाना पचाने, ऊर्जा का संचयन करने, पित्त बनाने और कार्बोहाइड्रेट को स्टोर करना यह सभी काम लिवर ही करता है। ऐसे में आहार को पचाने और शरीर को ऊर्जावान बनाने में लिवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जब लिवर में वसा की मात्रा ज्यादा हो जाती है तब फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इस समस्या को भी दो भागों में बाटा गया है। नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज और अल्कोहलिक फैटी लिवर।

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में गलत खानपान के चलते फैटी लिवर की समस्या होती है। जबकि अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में शराब का अत्यधिक सेवन करने के कारण लिवर में सूजन आ जाती है और कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और व्यक्ति फैटी लिवर की समस्या से ग्रस्त हो जाता है। फैटी लिवर के मरीजों में खानपान को लेकर असमंजस की स्थिति होती है। बहुत से लोगों का मानना है कि फैटी लिवर में चावल नहीं खाना चाहिए, आइए जानते हैं-

फैटी लिवर में चावल का सेवन

आपको बता दें कि चावल हाई ग्लाइसेमिक फूड में आता है, जो शरीर में ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है। ऐसे में बढ़ा हुआ ब्लड शुगर फैटी लिवर डिजीज का कारण बन सकता है। जिस किसी भी व्यक्ति को फैटी लिवर की समस्या है उसे चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।

फैटी लिवर में ब्राउन चावल का सेवन

फैटी लिवर के मरीजों को चावल खाने का मन करता है तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लिवर की अच्छी सेहत के लिए ब्राउन राइस बेहद उपयोगी है। बता दें कि ब्राउन राइस में फाइबर मौजूद होता है, जो लिवर के कार्यां में सुधार लाता है और उसे स्वस्थ रखने में मदद करता है। दरअसल, घुलनशील फाइबर शरीर से विषाक्त पदार्थों को आसानी से निकालता है।

वहीं आपको बता दें कि लिवर खराब होने के लक्षणों में उल्टी होना, कम भूख लगना, थकावट, दस्त होना, पीलिया, लगातार वजन घटना, शरीर में खुजली होना, एडिमा, पेट में तरल पदार्थ बनना आदि शामिल हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लिवर की सुरक्षा के लिए शराब के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए।