Fatty Liver in Kids: नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज जिसे NAFLD कहा जाता है, वर्तमान समय में होने वाली क्रॉनिक बीमारियों में सबसे आम है। मुख्य रूप से खराब खानपान और लापरवाह जीवन शैली के कारण लोग इस बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं। हालांकि, केवल व्यस्क या उम्रदराज लोग ही नहीं, बल्कि कम उम्र के बच्चे भी फैटी लिवर की बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। एक शोध के मुताबिक 10 बच्चों में से 1 को लिवर में फैट की परेशानी है। आइए जानते हैं किस प्रकार बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है –
क्या हैं कारण: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है बच्चों के फैटी लिवर से ग्रस्त होने की पीछे सबसे बड़ी वजह उनका खानपान है। छोटे बच्चे अक्सर स्वीट ड्रिंक्स जो फुक्टोज से भरपूर होते हैं, उनका सेवन करते हैं। दैनिक रूप से इनका सेवन शरीर में वसा की मात्रा को बढ़ाता है। ऐसे में दवाइयों का इस्तेमाल भी लिवर से फैट को निकालने में प्रभावी साबित नहीं होगा। इसलिए जरूरी है कि उनकी डाइट में कुछ बदलाव लाया जाए।
कैसे करें बचाव: लंबे समय तक फैटी लिवर की परेशानी कई खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है, ऐसे में रोकथाम बेहद आवश्यक है। लिवर शरीर का एक ऐसे अंग है जो टॉक्सिक पदार्थों को बाहर के निकालने के साथ पाचन तंत्र को बेहतर करने के काम आता है। इसलिए लिवर का स्वस्थ होना जरूरी है। सबसे पहले तो बच्चों को शुगरी ड्रिंक पीने से रोकें। शरबत से लेकर सॉफ्ट ड्रिंक तक, ये सभी उनके लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चे अगर दिन भर में एक गिलास से अधिक मीठा पेय पीते हैं तो इससे उनमें डायबिटीज, हार्ट डिजीज, मोटापा व अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसकी जगह पर अभिभावकों को अपने बच्चों को छांछ, नींबू पानी और नारियल पानी पीने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
इनसे रखें दूर: बच्चों को आर्टिफिशियल स्वीटनर या फिर कैलोरी फ्री शुगर के विकल्पों से भी दूर रखना चाहिए। ये बेशक चीनी जितना हानिकारक नहीं होता है, लेकिन इसमें कोई पोषक तत्व नहीं पाया जाता है।
गांठ बांध लें ये बातें: एक साल से कम उम्र के बच्चों को केवल पानी और दूध दें। साथ ही, बढ़ती उम्र के बच्चों को भी बार-बार पानी पीने को कहें जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहे। बच्चों को कोई भी फूड पैकेट देते वक्त लेबल चेक करें ताकि उसमें शुगर और कैलोरीज की मात्रा कितनी है, ये आप जान सकें।