दिल हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है, जो पूरे शरीर में रक्त का संचार सुनिश्चित करता है। दिल में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर घबराहट, सांस की तकलीफ, छाती में दर्द या थकान जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं। हालांकि ये लक्षण शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय रहते सही जांच न कराने पर गंभीर हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक ऐसे लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर आम तौर पर ECG (Electrocardiogram test) कराने की सलाह देते हैं।

ECG दिल की इलेक्ट्रिक गतिविधि और रिदम को रिकॉर्ड करता है और पिछले हार्ट अटैक या हार्ट रिदम में गड़बड़ी का पता लगाने में मदद करता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ECG करके हार्ट में ब्लॉकेज का पता लगाया जा सकता है, क्या ECG बढ़े हुए LDL कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की जानकारी दे सकती है जो दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार है। आइए कार्डियक सर्जन से जानते हैं सभी सवालों का जवाब।

क्या ECG के जरिए दिल के रोगों का खतरा पता चलता है?

कार्डिएक  सर्जन डॉ रमाकांत पांडा ने एक पॉडकास्ट पर बताया कि हृदय रोगों का पता लगाने के लिए ईसीजी सबसे बेकार टेस्ट है, क्योंकि ईसीजी आपको केवल तभी बदलाव दिखाता है जब आप दर्द में होते हैं या अगर आपको पहले दिल का दौरा पड़ा था। लेकिन अगर आपके पास कोई गंभीर ब्लॉक है और कोई दर्द नहीं है, तो यह आपको कुछ भी नहीं दिखा पाएगा। डॉक्टर ने बताया दिल की स्थिति जानने के लिए ईसीजी पर निर्भर न रहें। हृदय रोग की जांच के लिए दूसरे जरूरी टेस्ट कराएं। एक्सपर्ट ने बताया ECG केवल आराम की स्थिति में दिल की गतिविधि दिखाता है, इसलिए कभी-कभी छिपी हुई ब्लॉकेज या शुरुआती हार्ट डिजीज़ को यह पकड़ नहीं पाता। ECG केवल तब बदलाव दिखाता है जब आपको दर्द हो या पहले हार्ट अटैक हुआ हो। लेकिन अगर कोई गंभीर ब्लॉकेज है और दर्द नहीं है तो ECG कुछ भी नहीं दिखाएगा।

कार्डियोथोरेसिक एक्सपर्ट डॉ. सौम्या शेखर जेनेसामंत ने भी डॉक्टर रमाकांत पांडा से सहमति जताते हुए कहा कि ECG दिल का हाल जानने के लिए पर्याप्त टेस्ट नहीं है। ये टेस्ट हार्ट रिदम की गड़बड़ी या पिछले हार्ट अटैक के लिए उपयोगी है, लेकिन अगर मरीज उस समय किसी परेशानी में नहीं है तो यह ब्लड फ्लो में कमी नहीं दिखाएगा।

स्ट्रेस टेस्ट और ट्रेडमिल टेस्ट कैसे दिल की देते हैं सही जानकारी

स्ट्रेस टेस्ट जिसे अक्सर ट्रेडमिल टेस्ट (TMT) भी कहा जाता है। ये टेस्ट दिल की कार्यप्रणाली को शारीरिक गतिविधि के दौरान परखने के लिए किया जाता है। डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा जहां ECG आराम की स्थिति में हार्ट रिदम रिकॉर्ड करता है, वहीं स्ट्रेस टेस्ट यह दिखाता है कि जब दिल को अधिक काम करना पड़ता है तो यह कैसे प्रतिक्रिया करता है।

ग्लेनीगल्स अस्पताल, परेल, मुंबई में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया अधिकतर स्ट्रेस टेस्ट ट्रेडमिल पर चलने या स्टेशनरी बाइक चलाने के दौरान किया जाता है। जब शरीर सक्रिय होता है और कोरोनरी आर्टरी ब्लॉक होती हैं, तो हार्ट मसल को पर्याप्त ब्लड फ्लो नहीं मिलता। इसका परिणाम ECG में बदलाव, सांस की कमी, छाती में दर्द या थकान के रूप में सामने आता है। इसलिए स्ट्रेस टेस्ट उन समस्याओं को उजागर करता है जो आराम की स्थिति में छिपी रहती हैं। स्ट्रेस टेस्ट से दिल में ब्लड फ्लो की कमी, अनियमित रिदम या ब्लॉक आर्टरीज के संकेत मिल सकते हैं। ये हार्ट डिजीज़ के शुरुआती जोखिम की पहचान करने में बहुत उपयोगी है, खासकर उन लोगों में जिन्हें व्यायाम या शारीरिक गतिविधि के दौरान छाती में दर्द या सांस की तकलीफ होती है।

किसे स्ट्रेस टेस्ट कराना चाहिए?

डॉ के मुताबिक जिन लोगों में डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान की आदत या हार्ट से जुड़ी फैमिली हिस्ट्री है, उनके लिए ये टेस्ट फायदेमंद हो सकता है। ये टेस्ट उन मरीजों के लिए जरूरी  है जिन्हें एक्सरसाइज के दौरान छाती में दर्द, सांस  लेने में दिक्कत होती है। कुछ बड़े ऑपरेशन से पहले या एथलीटों के लिए भी हार्ट हेल्थ जांच के लिए डॉक्टर इस टेस्ट को कराने का सुझाव कर सकते हैं। स्ट्रेस टेस्ट सुरक्षित है, डॉक्टर ये टेस्ट मरीज की उम्र, लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार करने की सलाह देते हैं।

हालांकि, डॉ. गुप्ता ने कहा कि यह परफेक्ट टूल नहीं है। कभी-कभी टेस्ट शुरुआती रोग को नहीं पकड़ पाता या कुछ मामलों में हेल्दी दिल में भी परिणाम असामान्य दिखा सकता है। इसलिए डॉक्टर अक्सर स्ट्रेस टेस्ट को अन्य जांचों के साथ मिलाकर अधिक स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करते हैं।

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