सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होने वाले असामान्य बदलावों से शुरू होता है। ये बदलाव पहले प्री-कैंसर अवस्था में होते हैं, जिन्हें समय रहते पकड़ लिया जाए तो कैंसर बनने से रोका जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से ठीक होने वाला कैंसर है। यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) में विकसित होता है, जो गर्भाशय और वजाइना के बीच का निचला हिस्सा होता है। ये कैंसर साइलेंट किलर डिजीज है जो धीरे-धीरे विकसित होता है। अगर शुरुआती स्टेज में बीमारी का पता लग जाए तो इस बीमारी को आसानी से रोका जा सकता है।

मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम में स्त्री रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग संबंधी एंडोस्कोपिस्ट डॉक्टर सभ्यता गुप्ता ने बताया सर्वाइकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है। इस कैंसर का शुरुआती दौर में पता चल जाए तो आसानी से इसका इलाज किया जा सकता है। एक्सपर्ट ने बताया महिलाओं में इस बीमारी के प्रति जागरूकता नहीं है जिसकी वजह से हर साल  1 लाख 2700 नए मामले सामने आते हैं। बॉडी में इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में दिखने लगते हैं महिलाएं अगर अपनी बॉडी पर ध्यान दें तो आसानी से बीमारी की पहचान कर सकती हैं। आइए जानते हैं कि ये बीमारी क्या है, क्यों होती है और इसके लक्षणों की पहचान कैसे करें।  

सर्वाइकल कैंसर क्यों होता है?

सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस गर्भाशय ग्रीवा (cervix) की कोशिकाओं में बदलाव लाता है, जिससे धीरे–धीरे असामान्य कोशिकाएं बनने लगती हैं। अगर इन बदलावों का पता शुरुआती स्टेज में चल जाए, तो बीमारी को पूरी तरह रोका जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे HPV संक्रमण जो इस कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। असुरक्षित यौन संबंध,लंबे समय तक संक्रमण या सूजन,कमजोर इम्यूनिटी,लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाओं का सेवन,धूम्रपान और अनुवांशिक कारण भी सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। सर्वाइकल कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और शुरुआत में शरीर सिर्फ हल्के संकेत देता है, जिन पर अक्सर ध्यान नहीं जाता।  लेकिन शुरुआती पहचान सब कुछ बदल सकती है। सही समय पर जांच और जागरूकता, कैंसर को बढ़ने से रोक सकती है।

सर्वाइकल कैंसर का पता कैसे लगाएं?

सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने का सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद तरीका स्क्रीनिंग है। इसके लिए नियमित अंतराल पर टेस्ट कराना जरूरी है। पैप स्मियर टेस्ट 21 से 29 वर्ष की महिलाओं को हर 3 साल में एक बार जरूर कराना चाहिए। यह टेस्ट cervix की कोशिकाओं में होने वाले शुरुआती बदलावों का पता लगा लेता है, जिससे कैंसर बनने से पहले ही रोकथाम संभव हो जाती है।

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण

  • असामान्य वजाइनल ब्लीडिंग
  • पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग
  • सेक्स के बाद ब्लीडिंग
  • मेनोपॉज़ के बाद ब्लीडिंग
  • अगर ब्लीडिंग आपके सामान्य पैटर्न से अलग दिखाई दे, तो तुरंत जांच कराना चाहिए।

असामान्य वेजाइनल डिस्चार्ज

पानी जैसा, पतला, या बदबूदार डिस्चार्ज सर्वाइकल कैंसर के हो सकते हैं संकेत। रंग या बनावट में बदलाव होना।

पेल्विक पेन

  • ऐसा दर्द जो पीरियड्स से जुड़ा न हो और लगातार बना रहे।
  • पेल्विक एरिया में हल्का दबाव होना
  • हल्का दर्द
  • सेक्स के दौरान दर्द होना एक बड़ा संकेत है, लेकिन अक्सर महिलाएं इसे नजरअंदाज कर देती हैं।

पीरियड्स हैवी और लम्बा होना

  • अचानक पीरियड पैटर्न का बदलना भी सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • उम्र के साथ पीरियड पैटर्न बदलना
  • डिस्चार्ज में सामान्य उतार-चढ़ाव
  • पेल्विक दर्द को सामान्य समझ लेना, इसी वजह से सर्वाइकल कैंसर अक्सर देर से पता चलता है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे करें

  • Pap smear और HPV टेस्ट शुरुआती बदलावों को कैंसर बनने से पहले पकड़ लेते हैं।
  • यानी लक्षण आने का इंतजार करने की जरूरत नहीं।
  • सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए HPV Vaccination कराना जरूरी है।
  • कैंसर पैदा करने वाले HPV वायरस से सुरक्षा
  • हर 3–5 साल में जरूरी जांच  Pap Smear और HPV Test कराएं।
  • सुरक्षित सेक्स प्रैक्टिस
  • प्रोटेक्शन का ध्यान रखें
  • कम पार्टनर बनाएं
  • लक्षणों को नजरअंदाज न करें

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