मोटर न्यूरॉन डिजीज (Motor Neurone Disease – MND) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल यानी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जिसमें दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड के वे नर्व सेल्स प्रभावित होते हैं, जो हमारी मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं। जब ये मोटर न्यूरॉन्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, तो मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं, और व्यक्ति को चलने, बोलने, निगलने और सांस लेने जैसी बुनियादी कामों को करने में परेशानी आने लगती है। मोटर न्यूरॉन डिजीज का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुछ मामलों में यह जेनेटिक हो सकता है, जबकि अन्य में यह न्यूरल सेल्स के डैमेज या प्रोटीन असंतुलन की वजह से विकसित होता है।

मोटर न्यूरॉन डिजीज के लक्षणों की बात करें तो बोलने या आवाज में बदलाव, निगलने में कठिनाई होना, मांसपेशियों का सिकुड़ना या फड़कना, हाथ-पैरों में कमजोरी होना,चलने या संतुलन बनाने में परेशानी होना, सांस लेने में दिक्कत होने जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

मोटर न्यूरॉन डिजीज के कुछ प्रकार होते हैं जैसे

  1. ALS (Amyotrophic Lateral Sclerosis) सबसे आम प्रकार, जिसमें दिमाग और रीढ़ दोनों प्रभावित होते हैं।
  2. PMA (Progressive Muscular Atrophy) ये परेशानी मुख्य रूप से मांसपेशियों की कमजोरी से जुड़ी है।
  3. PLS (Primary Lateral Sclerosis) ये शरीर के मूवमेंट पर असर डालता है।
  4. PBP (Progressive Bulbar Palsy) जीभ, गले और बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है।

मोटर न्यूरॉन डिजीज की कैसे होगी पहचान? 

मोटर न्यूरॉन डिजीज का पता अब जुबान की एमआरआई के जरिए लगाया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नई खोज की है, जिसके मुताबिक जीभ की एमआरआई स्कैनिंग (MRI Scan) से मोटर न्यूरॉन डिजीज (Motor Neurone Disease) का शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है और उसकी निगरानी भी संभव है।

अध्ययन में पाया गया कि MND  से पीड़ित जिन लोगों को बोलने या निगलने में कठिनाई होती है, उनकी जीभ की मांसपेशियां सामान्य लोगों की तुलना में छोटी होती हैं, जो इस बीमारी का शुरुआती संकेत हो सकता है।

स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस के डॉ. थॉमस शॉ ने बताया कि जीभ में आठ आपस में जुड़ी हुई मांसपेशियां होती हैं, जो खाने, निगलने और बोलने में मदद करती हैं। लेकिन मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीड़ित मरीजों में ये मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं और क्षीण हो जाती हैं। इन बदलावों का जल्दी पता चलने से डॉक्टर समय रहते इलाज शुरू कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने 200 से अधिक पुरानी एमआरआई स्कैन रिपोर्टों का विश्लेषण किया, जिनमें एमएनडी मरीजों के स्कैन भी शामिल थे।  जीभ की मांसपेशियों के आकार और आयतन को सटीक रूप से मापा और परिणामों से पता चला कि MND से पीड़ित लोगों और स्वस्थ लोगों की जीभ की मांसपेशियों में काफी अंतर पाया गया। यह अध्ययन ‘कम्प्यूटर्स इन बायोलॉजी एंड मेडिसिन’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें यह भी पाया गया कि जिन लोगों में बीमारी के लक्षण जीभ, गले या मुंह में शुरू होते हैं, उनकी जीवन प्रत्याशा उन लोगों की तुलना में कम होती है, जिनमें लक्षण हाथ-पैरों में शुरू होते हैं।

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