लिवर हमारी बॉडी का डिटॉक्स सेंटर है, जो भोजन से पोषक तत्वों को प्रोसेस करता है और शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालता है। लिवर हमारे शरीर का सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण अंग है, क्योंकि यह अकेले ही 500 से ज्यादा ज़रूरी काम करता है। लिवर को हम सही मायनों में बॉडी का पावर हाउस और फिल्टर सिस्टम कह सकते हैं। खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल हमारी लिवर की हेल्थ को बिगाड़ रहा है। हे
ल्थलाइन के मुताबिक ज्यादा चीनी और रिफाइंड कार्ब्स का सेवन करने से ये शरीर में फैट में कन्वर्ट होकर लिवर में जमा होने लगते हैं। जंक फूड, तैलीय भोजन, प्रोसेस्ड फूड लिवर पर फैट जमा करने का काम करते हैं। शराब का ज्यादा सेवन और शारीरिक गतिविधि में कमी होने से भी लिवर में फैट जमा होने लगता है। जिन्हें डायबिटीज़ है, उनमें इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता। इससे ब्लड शुगर फैट में बदलकर लिवर में जमा हो जाता है। ब्लड में फैट की मात्रा ज्यादा होने से भी लिवर में फैट इकट्ठा होता है। लिवर में फैट को अगर कंट्रोल नहीं किया जाए तो लिवर फैटी हो जाता है, समय रहते ध्यान न देने पर लिवर डैमेज, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।
लिवर के फैट को कंट्रोल करना है तो सबसे पहले लिवर में फैट जमा होने के लक्षणों को समझना जरूरी है। लिवर में फैट जमा होने पर बॉडी में कुछ शुरुआती लक्षण दिखते हैं जिन्हें समझना बेहद जरूरी है ताकि आप लिवर में फैट के डिपॉजिट को कंट्रोल कर सकें। आइए जानते हैं कि लिवर में फैट जमा होने पर कौन से शुरुआती लक्षण दिखते हैं।
ब्लोटिंग होना और पेट में असहजता महसूस होना
लिवर पर फैट जमना का सबसे पहले असर पेट पर दिखता है। फैटी लिवर की शुरुआत होने पर ब्लोटिंग की परेशानी बढ़ जाती है। पेट बार-बार फूला हुआ या भारी लगना, थोड़े से खाने के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस होना फैटी लिवर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। लिवर में फैट जमने से पाचन धीमा हो जाता है जिससे पेट में गैस, अपच व फ्लूइड असंतुलन की समस्या हो सकती है। इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करें वरना मुश्किल बढ़ सकती है।
बेवजह थकान होना
लगातार थकान रहना और ऊर्जा की कमी महसूस होना भी फैटी लिवर का प्रमुख लक्षण हो सकता है। इस थकान को अक्सर लोग नींद की कमी या काम की थकान समझ लेते हैं, जबकि असली कारण लिवर की कार्यक्षमता में गिरावट हो सकती है। जब लिवर फैट और टॉक्सिन से भर जाता है तो वह शरीर को शुद्ध करने और मेटाबॉलिज्म को सपोर्ट करने का काम ठीक से नहीं कर पाता। इसका नतीजा यह होता है कि पर्याप्त आराम और सही भोजन के बावजूद शरीर बेहद थका और सुस्त महसूस करता है।
ब्रेन फॉग और कन्फ्यूजन
लिवर हमारे खून में मौजूद केमिकल्स को नियंत्रित करने का काम करता है। लेकिन जब इसमें फैट जमने लगता है तो टॉक्सिन बाहर नहीं निकल पाते और ब्रेन फंक्शन पर असर डालते हैं। लिवर में परेशानी होने पर याददाश्त कमजोर होना, ध्यान न लगना, भूलने की आदत और मानसिक धुंधलापन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। फैटी लिवर से पीड़ित कई लोग बताते हैं कि उनका दिमाग साफ तरह से काम नहीं करता और वे खुद को मानसिक रूप से सुस्त महसूस करते हैं।
स्किन पर भी दिखाई देते हैं लक्षण
जब लिवर सही से काम नहीं करता तो इसका असर स्किन पर भी दिखने लगता है। स्किन पर खुजली, दाने, मुंहासे, रेडनेस और चेहरे पर निरस्ता इसके आम लक्षण हैं। लिवर में फैट आने पर कई बार स्किन का रंग फीका या रूखा भी लगने लगता है। स्किन पर होने वाले इन बदलाव को कॉस्मेटिक इश्यू न मानकर लिवर हेल्थ का चेकअप कराना जरूरी है।
मीठा खाने की क्रेविंग होना
अगर बार-बार मीठा या कार्बोहाइड्रेट खाने की क्रेविंग पैदा होती है तो ये लिवर की असंतुलित स्थिति का संकेत है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फैटी लिवर इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे शरीर अधिक शुगर की डिमांड करता है। ज्यादा मीठा खाने से लिवर पर और बोझ बढ़ता है और फैट जमाव तेजी से बढ़ने लगता है। मीठा खाने की क्रेविंग को तुरंत कंट्रोल करें।
मुंह से बदबू आना
अगर अच्छी ओरल हाइजीन और ब्रशिंग के बावजूद लगातार सांस से या फिर मुंह से बदबू आ रही है, तो यह लिवर की परेशानी का संकेत हो सकता है। जब लिवर फैट और टॉक्सिन को बाहर नहीं निकाल पाता तो शरीर में ऐसे तत्व जमा हो जाते हैं जो बदबू पैदा करते हैं। यह केवल सांस की नहीं बल्कि पूरे शरीर की दुर्गंध भी हो सकती है।
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