खुशी का मौका हो और घर की सेंटर टेबल पर केक मौजूद ना हो ऐसा कम ही होता है। किसी का बर्थडे हो, घर में नई नवेली दुल्हन का स्वागत हो या फिर घर में कोई नन्हा मुन्ना मेहमान आया हो सबके स्वागत में केक को काट कर जश्न मनाया जाता है। बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों सभी को केक खाना पसंद है। खुशी के मौके पर मुंह मीठा करने वाला केक आपको कैंसर जैसी घातक बीमारी का शिकार बना सकता है। जी हां, कर्नाटक फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने सेफ्टी टेस्ट में 12 तरह के केक को कैंसर का कारण माना है।

FSSAI ने इस परीक्षण में केक के 235 नमूनों को शामिल किया था जिसमें 12 केक में खतरनाक तरीके के आर्टिफिशियल कलर मौजूद है जो कैंसर का कारण है। इन केक में red velvet और black forest cakes शामिल है जो ज्यादातर लोगों की पसंद में शामिल है। इन केक में मौजूद खतरनाक केमिकल शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

अब सवाल ये उठता है कि ये आर्टिफिशियल फूड डाई कैसे कैंसर का कारण बनती है? आइए जानते हैं कि आपका बर्थडे सेलिब्रेट करने वाला फेवरेट केक कैसे कैंसर का कारण बनता है और केक का चुनाव करते समय आप किन बातों का रखें ध्यान।

केक में मौजूद आर्टिफिशियल फूड डाई कैसे कैंसर का कारण बनती है?

केक में मौजूद आर्टिफिशियल फूड डाई कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। FSSAI ने इन केक डाई को कैंसर का कारक माना है। हालांकि खाने में आर्टिफिशियल फूड डाई का चलन सदियों पुराना है। पहला सिंथेटिक रंग 1856 में कोयला टार से बनाया गया था। आज ये रंग खासतौर पर पेट्रोलियम से प्राप्त होता हैं। जबकि पिछले कुछ सालों में जितनी आर्टिफिशियल फूड डाई का निर्माण हो रहा है इनमें अधिकांश में जहरीले पदार्थ मौजूद हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं।

Environmental Health Perspectives में एक रिसर्च में कहा गया है कि सनसेट येलो और तीन तरह की कॉमन डाई का इस्तेमाल करने से अस्थमा के रोगियों में स्किन में सूजन और सांस लेने की समस्याओं समेत कई तरह की एलर्जी का खतरा बढ़ने लगता है। अस्थमा के रोगियों में इन रंगों से एलर्जी होने की संभावना 52 प्रतिशत अधिक होती है।

रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक रंगों की मिलावट से दस्त, मतली, आंखों की रोशनी की समस्याएं, लिवर डिसऑर्डर और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।