Cardiac Arrest Symptoms:  सडेन कार्डियक अरेस्ट आज के समय में किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना लेती है। वर्तमान समय में ये लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरी है। यहां तक कि जिन लोगों को पहले से कोई दिल की बीमारी या परेशानी भी नहीं है, वो भी इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। ये एक गंभीर स्थिति होती है जिसमें दिल अचानक से धड़कना बंद हो सकता है। कार्डियक अरेस्ट में दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। ऐसी स्थिति को cardiac arrhythmia कहते हैं। दुनिया भर में हर साल प्रति हजार व्यक्तियों में एक की मौत इस बीमारी से हो जाती है। हालांकि, इससे ग्रस्त लोगों के लिए हर एक समय कीमती है। ऐसे में इसके लक्षणों को ध्यान में रहकर जल्दी पहचाना जा सकता है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण: कार्डियक अरेस्ट के आम लक्षणों में सांस की कमी, सांस लेने में दिक्कत, अचानक से बेहोश हो जाना और बेचैनी जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसके अलावा, दिल की धड़कन का तेज हो जाना, दर्द होना और लगातार थकान भी इस खतरे की चेतावनी हो सकती है।

किन्हें है अधिक खतरा: भले ही कार्डियक अरेस्ट किसी को भी अपनी चपेट में ले सकती है, लेकिन दिल की बीमारी अथवा जो लोग दिल का दौरा झेल चुके हैं – उन्हें इसका खतरा अधिक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हार्ट अटैक की चपेट में आ चुके लोगों को पहले 6 महीनों में कार्डियक अरेस्ट का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, मोटापा, डायबिटीज, हार्ट फेलियर या फिर ड्रग्स का ओवरयूज करने वाले लोग इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं।

CPR हो सकता है अहम: कार्डियोपल्मनरी रिसससिटेशन (CPR) समय रहते अगर इसका इस्तेमाल किया जाए तो लोगों को फायदा मिल सकता है। जब तक लोगों को सही मेडिकल सुविधा न मिले तब तक (CPR) देना लाभकारी हो सकता है। इसके तहत मरीज के सीने पर हाथों से दबाव दिया जाता है। इससे दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंच पाता है जिससे दिल की धड़कन नॉर्मल बने रहने में मदद मिलती है। साथ ही बिना विलंब किये जल्द से जल्द किसी डॉक्टर को दिखाने का प्रबंध करना चाहिए।