डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर हैं, जिसमें ब्लड शुगर यानी रक्त शर्करा का स्तर काबू में रखना बेहद ही जरूरी होता है। जब पैन्क्रियाज इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन कम या फिर बंद कर दे तो इसके कारण लोग डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं। मधुमेह के रोगियों में हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, मल्टीपल ऑर्गन फेलियर और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर और जानलेवा स्थिति का संकट बढ़ जाता है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स डायबिटीज के मरीजों को खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखने की सलाह देते हैं।
अलसी के बीज: पोषक तत्वों से भरपूर अलसी के बीजों में एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी-खासी मात्रा मौजूद होती है, जो फ्री रैडिकल्स से लड़ने के लिए शरीर को एनर्जी प्रदान करता है। अलसी के बीजों में मौजूद फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड पाचन को स्लो कर देता है, जिससे ग्लूकोज को अवशोषित होने में वक्त लगता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट में रोस्टेड अलसी के बीजों को शामिल कर सकते हैं।
अलसी के बीज ना सिर्फ ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं बल्कि यह मोटापे को कम करने में भी फायदेमंद साबित होते हैं। नियमित तौर पर अलसी के बीजों का सेवन करने से भूख जल्दी नहीं लगती, इसमें मौजूद लिगनिन तत्व वजन को कम करने में मदद करता है।
एवोकाडो: डायबिटीज के मरीज एवोकाडो में भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसमें मौजूद मोनोअनसैच्युरेटेड फैटी एसिड इंसुलिन सेंसिटिवटी को बढ़ाकर शुगर लेवल कम करने में मदद मिल सकते हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीज अपने खाने में एवोकाडो को शामिल कर सकते हैं।
फैटी फिश: फैटी फिश में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है। साथ ही यह इंसुलिन प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है। एक रिसर्च के अनुसार 8 हफ्ते 150 ग्राम साल्मन के सेवन से ब्लड शुगर लेवल को 5 गुना तक कम किया जा सकता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट में फैटी फिश को भी शामिल कर सकते हैं।
इसके अलावा डायबिटीज के मरीज अपने नाश्ते में रोस्टेड ड्राई फ्रूट्स आदि को भी शामिल कर सकते हैं।