Diabetes Management: डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें शुगर लेवल पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर मरीजों को कई दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। बता दें कि अस्वस्थ और लापरवाह जीवन शैली के कारण लोगों को डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में मार्च 2020 तक करीब 7 करोड़ 70 लाख वयस्क डायबिटीज से ग्रस्त हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि देश में लोग इस बात से अनजान होते हैं कि उन्हें डायबिटीज (Undiagnosed Diabetes) है। इसी कारण से भारत को इस बीमारी की राजधानी कहा जाता है।

दिल और किडनी को प्रभावित करता है डायबिटीज: एक्सपर्ट्स का कहना है कि शुगर लेवल की उच्च मात्रा किडनी और दिल को भी प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज में पैन्क्रियाज में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन तो होता है लेकिन शरीर इसका उपयोग करने में समर्थ नहीं होता है। इस स्थिति में जब शुगर लेवल अनियंत्रित हो जाता है तो इससे नसें, आंखें, किडनी, दिल समेत दूसरे ऑर्गन्स भी प्रभावित होते हैं।

क्या हो सकता है खतरा: 25 सालों में देश में दिल के मरीज लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़े हैं। खराब लाइफस्टाइल, धूम्रपान और जंक फूड्स की लत हृदय को कमजोर बनाती है। ऐसे में ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि भारत में हृदय रोग और स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। डायबिटीज रोगियों का मेटाबॉलिज्म कमजोर होता है, ऐसे में शरीर में फैट की मात्रा बढ़ती है जिस कारण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस होता है जो हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है। एक शोध के अनुसार मधुमेह रोगियों में 65 फीसदी हार्ट डिजीज का जोखिम होता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के शरीर में पेशाब के मार्ग से एल्ब्यूमिन नामक प्रोटीन का रिसाव होता है। ये प्रोटीन किडनी को नुकसान पहंचाता है जिससे ब्लड वेसल्स संकुचित हो जाते हैं। इस कारण खून में मौजूद विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलने की जगह नहीं मिल पाती है। साथ ही, डायबिटीज रोगियों की यूरिनरी ब्लैडर पर हर समय दबाव बना रहता है, इस प्रेशर के कारण किडनी के कमजोर होने और इंफेक्शन का खतरा रहता है।

रखें इन बातों का ध्यान: समय से दवा का सेवन करें। साथ ही, खानपान को लेकर सतर्कता बरतें और थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ खाते हैं। स्ट्रेस से दूर रहें साथ ही, वजन पर संतुलन बनाए रखें। नमक और तैलीय खाद्य पदार्थ कम मात्रा में खाएं। डाइट में ओमेगा 3 फैटी एसिड फूड्स को शामिल करें।