कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है। भारत में भी कोरोना वायरस तेजी से पैर पसारता जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 19,984 हो गई है, जिसमें से 3870 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। वहीं 640 लोगों की मौत भी हो चुकी है। इस वायरस से लड़ने के लिए सरकार और डॉक्टर्स अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। रोजाना टेस्ट सैंपल लिए जा रहे हैं और इनकी जांच भी हो रही है। कोविड-19 के खिलाफ लड़ने के लिए सख्त दिशा-निर्देश का पालन हो रहा है और लोग भी अपनी तरफ से बिल्कुल तैयार हो चुके हैं।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 16 अप्रैल को एक एंटीबॉडी टेस्ट का जिक्र किया है। उन्होंने इसके बारे में पूरी जानकारी देते हुए कहा कि इस एंटीबॉडी टेस्ट का इस्तेमाल हर जगह करना फायदेमंद नहीं होगा। इसका इस्तेमाल सिर्फ हॉटस्पॉट वाले इलाके में ही किया जाएगा। आइए जानते हैं एंटीबॉडी टेस्ट किट क्या है और यह कैसे काम करता है-
क्या है एंटीबॉडी टेस्ट किट? दैनिक जागरण के मुताबिक, जब किसी भी प्रकार का वायरस या जीवाणु शरीर में प्रवेश करता है तो वैज्ञानिक उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार करते हैं। जब शरीर में वायरस प्रवेश करता है तो इम्यून सिस्टम उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। आमतौर पर यह किट दो प्रकार का होता है। पहला- लैब टेस्ट, जिसमें करीब दिनभर का समय लगता है। दूसरा- पॉइंट ऑफ केयर टेस्ट, इस टेस्ट किट के माध्यम से कोरोना संक्रमित की जांच रिपोर्ट न्यूनतम पांच और अधिकतम 15 मिनट में सामने आ जाती है।
बता दें कि इसका खर्च भी 500 से 600 रुपये के बीच होगा। एंटीबॉडी टेस्ट किट में ब्लड सैंपल लिया जाता है ताकि वायरस के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया का पता लगाया जा सके। इसमें जांच में यह देखते हैं कि संदिग्ध मरीज के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही है या नहीं। लॉकडाउन के दौरान यह एंटीबॉडी टेस्टिंग किट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसका इस्तेमाल उनलोगों की पहचान के लिए किया जा रहा है, जिनमें कोरोना का खतरा है।

