आप उन्हें जब भी साथ लेकर बाजार जाएं, तो वे जो भी खाने-पीने की चीजें देखते हैं, मांगने लगते हैं। जिन चीजों का स्वाद उनकी जीभ पर बसा हुआ है, उसे खाने के लिए तो बाजार में सरेआम जिद पर ही अड़ जाते हैं। इस तरह कई माता-पिता उनकी जिद के आगे हार कर वह चीज उन्हें दिला देते हैं।
फिर जब भी उन्हें मौका मिलता है, स्कूल से निकलते ही या बाजार में दोस्तों के साथ होने पर बाजार की चीजें खाने लपक पड़ते हैं। छिप-छिपा कर बाहर की चीजें खाना तो बच्चे जैसे अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। कई माता-पिता तो लाड़-प्यार में भी बाहर की चीजें या डिब्बाबंद खाद्य उन्हें खाने को देते हैं। कई माता-पिता बाहर की चीजों का लालच देकर उनसे अपने गृहकार्य आदि पूरा करने की शर्त रखते देखे जाते हैं। मगर हकीकत यह है कि इन सारी चीजों का बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। कम उम्र में ही उनका लिवर प्रभावित हो जाता है, कमजोर हो जाता है।
इस समय बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। साथ ही बच्चे को दूषित खाने और पानी से कई तरह के रोग होने की संभावना अधिक रहती है। जब बच्चे बाहर का तुरंता आहार यानी जंक फूड खाते हैं तो इससे उनके पाचन तंत्र के साथ ही लिवर पर भी दबाव पड़ता है। अगर बच्चा लगातार बाहर का खाने की जिद करता है, तो आगे चल कर उसको लिवर संक्रमण और लिवर संबंधी अन्य रोग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की आदतों में सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए और उनको घर का ही साफ बना खाना खाने की आदत डालनी चाहिए। बेशक आप उनकी मनपसंद चीज को घर पर ही बना सकते हैं। मगर उसे बाहर का खाना खाने से रोकें। लिवर संबंधी रोग होने पर बच्चों में कुछ लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं। इन लक्षणों को आपको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
कारण
बच्चों में लिवर से संबंधित परेशानियां पैदा होने में कई तरह के आनुवांशिक कारक भी जिम्मेदार होते हैं। इनमें से एक अल्फा वन एंटीट्रिप्सिन की कमी को कारण माना जाता है। लिवर में अल्फा वन एंटीट्रिप्सिन नाम का प्रोटीन बनता है, जो रक्त प्रवाह में जाता है। जब यह तत्त्व बाधित हो जाता है, तो बच्चे को लिवर संबंधी परेशानियां पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा भी लिवर संक्रमण के कई अन्य कारण होते हैं। इसके साथ ही हेपेटाइटिस ए, बी और सी, प्रतिरोधक प्रणाली का विकार और आनुवांशिक कारण लिवर रोग की वजह बनते हैं।
लक्षण
पीलिया होना
बच्चों में लिवर के कमजोर होने या उसमें संक्रमण होने पर पीलिया हो जाता है। लिवर में जब बिलिरूबिन नामक रसायन का स्तर प्रभावित होता है तो बच्चों में पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस समस्या में बच्चे की त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ जाता है। भूख कम हो जाती है। बच्चा कुछ भी खाने से मना करने लगता है।
पेट में दर्द
लिवर संबंधी किसी भी तरह की समस्या में बच्चों को भोजन पचाने में समस्या होने लगती है। साथ ही उनको पेट में दर्द होता है। इसके अलावा बच्चे को पेट में गैस होने लगती है। यह दर्द लगातार बना रहता है। कभी-कभार दर्द हो, तब भी उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि भोजन पचाने में दिक्कत होने से ही पेट में दर्द होता है।
मल में पीलापन
बच्चे में लिवर का संक्रमण और लिवर में सूजन की वजह से बच्चे के मल का रंग पीला हो जाता है। अगर आपके बच्चे के मल का रंग पीला आ रहा है तो यह बिलीरुबिन के स्तर में बढ़ोतरी की मुख्य वजह हो सकता है। ऐसे में आपको तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए और सबसे पहले बच्चे के भोजन पर ध्यान देना चाहिए। चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
भूख न लगना
बच्चे के लिवर का संक्रमण या अन्य रोग होने पर उसे भूख कम लगती है। भूख कम होने के कारण बच्चे को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है। ऐसे में बच्चे का विकास भी बाधित होता है। साथ ही उसका वजन तेजी से कम होने लगता है। वह हर समय सुस्त रहता है। इसे भी लिवर की समस्या का एक मुख्य लक्षण माना जाता है।
हड्डियों की कमजोरी
जिन बच्चों के लिवर में समस्या होती है, उनकी हड्डियों संबंधी समस्या भी होती है। लिवर की परेशानी होने पर बच्चों की हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है, इस तरह उन्हें हड्डियों की समस्या होने लगती है और उनकी हड्डियों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और शुरू से ही बच्चों के खानपान का खयाल रखें। बाहर का भोजन देने से बचें, जितना हो सके, घर का बना भोजन ही खिलाएं। लिवर संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)