Cholesterol Can fish oil and garlic pills lower LDL: अगर आपको लगता है कि नियमित रूप से मछली के तेल और लहसुन का सेवन आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए पर्याप्त है, तो आप गलत हैं। US-आधारित क्लीवलैंड क्लिनिक द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में स्टैटिन के प्रभावों की तुलना की गई।
ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं और आमतौर पर मछली के तेल, दालचीनी, लहसुन और हल्दी जैसे सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है। शोध में पाया गया कि कम डेंसटी वाले लिपोप्रोटीन (LDL) या खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में स्टैटिन 35 प्रतिशत अधिक प्रभावी थे, जबकि किसी अन्य सप्लीमेंट्स का प्रभाव उतना प्रभावी नहीं रहा।
एसएल रहेजा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ परितोष बघेल इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि “ऐसा इसलिए है होता है क्योंकि ओवर-द-काउंटर सप्लीमेंट एविडेंस बेस्ड कोई ठोस प्रमाण से लिंक नहीं है। सप्लीमेंट्स का उपयोग शरीर में कमियों को ठीक करने के लिए किया जा सकता है, उदाहरण के लिए माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और विटामिनों की कमी को पूरा कर सकता है। हालांकि, स्टैटिन दवाओं का एक वर्ग है जो कोलेस्ट्रॉल के सिंथेसिस पर कार्य करता है। इसलिए कोलेस्ट्रॉल के लिए जिम्मेदार एंजाइमों को रोककर LDL लेवल को कम करते हैं।”
डॉक्टर बघेल के मुताबिक आमतौर पर ऐसे पदार्थों का कोई खास दुष्प्रभाव नहीं होता है, लेकिन कुछ एलर्जी हो सकती है और लंबे समय तक सेवन करने से शरीर में कुछ विषैले एंजाइम पैदा हो सकते हैं। उदाहरण के लिए महामारी के दौरान, यह पाया गया कि हल्दी के अत्यधिक सेवन से क्लॉटिंग की समस्या हो जाती है।
इन सप्लीमेंट्स का उपयोग करने के लिए क्या करें और क्या न करें?
डॉ. बघेल सलाह के मुताबिक “सप्लीमेंट्स शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें, भले ही वे सुरक्षित और उनका कोई साइड इफेक्ट न हों। हमेशा अपने आप से कारण पूछें कि आपको उनकी आवश्यकता क्यों है? उनके लंबे समय सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में पूछताछ करें। जब तक आपको न बताया जाए, उन सप्लीमेंट को लंबे समय तक न लें। यदि डॉक्टर ने किसी सप्लीमेंट को लंबे समय तक लेने की सलाह नहीं दी है तो उन्हें 3 महीने पर लेना बंद कर देना चाहिए।”
डॉक्टर बघेल ने बताया कि सप्लीमेंट डाइट संतुलित पोषण का विकल्प नहीं है। संतुलित आहार शरीर को स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक सभी पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करता है, फिर भी यदि कोई कमी है, तो इसे ठीक करने के लिए केवल डॉक्टर द्वारा सलाह दिए जाने पर सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता हो सकती है। आमतौर पर शाकाहारियों में विटामिन बी12 की कमी होती है और इसलिए विटामिन बी12 के सप्लीमेंट उनके लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन किसी अन्य व्यक्ति के लिए उनकी सिफारिश नहीं की जा सकती है।
आगे डॉक्टर बघेल ने बताया कि इसी तरह जो लोग सूरज की रोशनी के संपर्क में नहीं आते हैं उनमें विटामिन डी की कमी होने का खतरा होता है। इसलिए कुछ सप्लीमेंट से उन्हें लाभ होगा। साथ ही, यह याद रखना चाहिए कि विटामिन डी की खुराक के अत्यधिक सेवन से विटामिन डी जहरीला हो सकती है। इसके अलावा, गैर-एलोपैथिक सप्लीमेंट्स में भारी धातु या अन्य अवयव शामिल हो सकते हैं जो अधिक मात्रा के बाद स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डॉ परितोष बघेल कहते हैं कि वास्तव में ऐसे सप्लीमेंट्स को बनाने से लेकर उसके बिक्री तक को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए। विशेष रूप से हमारे देश में जहां काउंटर पर दवाएं आसानी से खरीदी जा सकती हैं और जनता में उनकी सामग्री और संबंधित दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता का स्तर कम है। सप्लीमेंट्स के प्रतिकूल प्रभावों को रोकने के लिए प्रभावी नियम और कानून होने चाहिए।