Gestational Diabetes: गर्भावस्था के दौरान करीब 14 फीसदी महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा होता है। वहीं, कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद भी मधुमेह बरकरार रहता है। कई बार आपने लोगों को बोलते हुए सुना होगा कि डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं को अपने नवजन्मे शिशु को स्तनपान कराने से बचना चाहिए। हालांकि, सच्चाई पूरी तरह इससे इतर है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय –

डॉ. आदित्य हेग्डे के मुताबिक जेस्टेशनल डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग जरूर कराना चाहिए। स्तनपान कराने से शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है। साथ ही, जो महिलाएं ब्रेस्ट फीड करती हैं उनमें डायबिटीज टाइप 2 से घिरने का खतरा कम होता है।

शिशु और मां ब्रेस्ट फीडिंग दोनों के लिए बेहद फायदेमंद होता है लेकिन इसके बावजूद जन्म के 6 महीनों के भीतर केवल 55 फीसदी बच्चों को ही मां का दूध मिल पाता है। बता दें कि डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं के लिए स्तनपान बहुत लाभकारी होता है। हालांकि, ब्रेस्ट फीडिंग के फायदों के साथ ही मधुमेह रोगी महिलाओं के लिए कुछ चुनौतियां भी सामने आती हैं।

क्या ब्रेस्ट मिल्क से शिशु में ट्रांस्फर हो सकता है डायबिटीज: शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान होता है, ये उन्हें सभी बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्तनपान से भविष्य में बच्चों को मधुमेह का खतरा कम होता है। साथ ही, मां का दूध बच्चों में इंफेक्शन के जोखिमों को भी कम करता है।

किन बातों का रखें ध्यान: डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक स्तनपान कराने से पहले और दौरान कुछ स्नैक्स लें। साथ ही, अगर आप बार-बार शिशु को फीड करती हैं तो अपने साथ इमरजेंसी स्नैक रखें। बच्चे को स्तनपान कराने से पहले रक्त शर्करा का स्तर अवश्य जांच लें।

विशेषज्ञ ब्रेस्टफीडिंग करने वाली महिलाओं को तनाव नहीं लेने की सलाह देते हैं। साथ ही, ब्रेस्ट में किसी भी प्रकार के इंफेक्शन की लगातार जांच करते रहें। हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब सारा पानी पीयें। साथ ही, डिलवरी के बाद जितनी जल्दी हो सके स्तनपान कराएं।

ब्रेस्ट फीडिंग के फायदे: स्तनपान कराने से महिलाओं में कई बीमारियों का खतरा कम होता है, जैसे कि –
हार्ट डिजीज
मोटापा
डायबिटीज
अर्थराइटिस
ब्रेस्ट कैंसर
ओवरियन कैंसर
यूटरिन कैंसर
ऑस्टियोपोरोसिस