Coronavirus Outbreak: वैश्विक महामारी बन चुकी कोरोना वायरस का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे दुनिया में 3 लाख से भी अधिक लोगों को अपनी चपेट में लेने वाला ये वायरस बहुत ही तेजी से फैल रहा है। भारत में भी कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा 600 के करीब पहुंच चुका है। जापान और अन्य देशों में इस वायरस से ठीक होने के बाद भी लोग दोबारा उसकी चपेट में आ रहे हैं।
ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठता है कि जो मरीज इस वायरस को मात दे चुके हैं क्या वो दोबारा इसके शिकार हो सकते हैं? आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि शरीर जब किसी भी वायरस से एक बार संक्रमित होता है तो उसके खिलाफ शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानि कि इम्यून सिस्टम बेहतर हो जाता है। इससे दोबारा उस व्यक्ति को वायरस से संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।
कोरोना वायरस दोबारा क्यों करता है संक्रमित: ‘बीबीसी’ में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में अब तक कम से कम 14 प्रतिशत ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें इस वायरस से ठीक हो चुके लोगों का जब दोबारा टेस्ट हुआ तो उसमें वो पॉजिटिव पाए गए। शोधकर्ता लुई एख़ुआनेस की मानें तो ऐसे लोगों को दोबारा संक्रमण नहीं होता है बल्कि पहले से मौजूद वायरस ही शरीर में खुद को बढ़ाने लगते हैं। इस स्थिति को चिकित्सीय भाषा में ‘बाउंसिंग बैक’ कहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा संभव हो सकता है कि किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने में हर वक्त सक्षम न हो। ऐसे में जरा-सा भी इम्यूनिटी के कमजोर पड़ने पर शरीर में मौजूद वायरस दोबारा हमला कर देते हैं।
शरीर में कब तक रह सकते हैं ये वायरस: एख़ुआनेस के मुताबिक कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का जब दोबारा टेस्ट होता है और अगर वो उसमें नेगेटिव पाए जाते हैं तो डॉक्टर्स ये मान लेते हैं कि शरीर से वायरस जा चुके हैं और उसके खिलाफ लड़ने के लिए इम्यूनिटी भी विकसित हो चुकी है। लेकिन हर बार यही हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार ये वायरस शरीर के उन टिश्यूज में छिपे रहते हैं जहां इम्यून सिस्टम का प्रभाव कम होता है। ऐसे में ये वायरस शरीर में ही रह जाते हैं। खबर के अनुसार, कुछ वायरस शरीर के भीतर तीन महीने या फिर इससे अधिक वक्त तक रह सकते हैं।