दूध एक कंप्लीट डाइट है जिसका सेवन डेली डाइट में करना जरूरी है। दूध पोषक तत्वों का पावर हाउस है जिसका सेवन करने से दांत और हड्डियां मजबूत होती हैं। प्रोटीन से भरपूर दूध का सेवन करने से बॉडी को पोषण मिलता है। दूध में विटामिन बी12, राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) और नियासिन (विटामिन बी3) भरपूर मात्रा में मौजूद होता हैं जो भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद करता हैं। विटामिन बी12 रेड ब्लड सेल्स के निर्माण और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के नॉर्मल कामकाज के लिए जरूरी है। हर रोज एक गिलास दूध का सेवन करने से कब्ज दूर होता है। लेकिन आप जानते हैं कि दूध का ज्यादा सेवन यानी की 2 गिलास से ज्यादा सेवन करने से आपकी गट हेल्थ बिगड़ सकती है।
हाल ही में बॉबी देओल ने एक इंटरव्यू में बताया कि एक समय ऐसा भी था जब वो रोजाना 7-8 गिलास दूध पीते थे। उन्होंने बताया कि वो हर दिन बहुत सारा दूध पीता थे, कम से कम 7-8 गिलास दूध पीते थे । उन्होंने बताया कि अब मुझे एहसास हुआ कि मुझे पाचन संबंधी समस्याएं क्यों होती थीं। अब सवाल ये उठता है कि क्या सच में 7-8 गिलास दूध का सेवन करने से पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि रोजाना दूध का ज्यादा सेवन करने से बॉडी पर क्या असर होता है।
दूध का ज्यादा सेवन बॉडी पर कैसा करता है असर
पारस हेल्थ गुरुग्राम में डायटेटिक्स डिपार्टमेंट में चीफ क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, नीलिमा बिष्ट ने बताया कि रोजाना 7-8 गिलास दूध का सेवन करने से सब की बॉडी पर उसका अलग-अलग असर पड़ता है। दूध का अधिक सेवन बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक पर प्रभाव डाल सकता है। बच्चों के लिए दूध कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन का बेहतर स्रोत है जो हड्डियों की वृद्धि और विकास में सहायता करता है। दूध के ज्यादा सेवन से वजन बढ़ सकता है और लैक्टोज इंटॉलरेंस जैसी पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
लैक्टोज इनटॉलेरेंस का कारण
लैक्टोज इनटॉलेरेंस तब होता है जब हमारी बॉडी लैक्टोज को तोड़ या पचा नहीं पाती है। लैक्टोज एक चीनी है जो दूध और दूध से बने फूड्स में पाई जाती है। लैक्टोज असहिष्णुता तब होती है जब आपकी छोटी आंत लैक्टेज नामक पाचन एंजाइम का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाती है।
मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका में कंसल्टेंट न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स डीटी वैशाली वर्मा ने बताया कि लैक्टोज दूध में पाई जाने वाली एक चीनी है जिसे लैक्टेज नामक एंजाइम द्वारा पचाया जाता है। अधिकांश लोगों में लैक्टेज गतिविधि पांच साल की उम्र के दौरान कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप उस उम्र के बाद से इसका स्तर कम हो जाता है। इससे लैक्टोज असहिष्णुता और लैक्टोज को पचाने में कठिनाई हो सकती है। ऐसे लोगों में दूध का अधिक सेवन करने से पेट फूलने की समस्या, गैस, दस्त और पेट में ऐंठन हो सकती है। बॉडी में दिखने वाले ये लक्षण ओवर ऑल हेल्थ पर असर करते हैं।
एक्सपर्ट ने बताया कि बहुत ज्यादा दूध पीने से वयस्कों को दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। दूध में सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है जो हमारे ट्राइग्लिसराइड के स्तर को प्रभावित करता है और समय के साथ बढ़े हुए ट्राइग्लिसराइड से दिल के रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
दूध पीते समय किन बातों का रखें ध्यान
पोषक तत्वों के असंतुलन से बचने के लिए बच्चों और युवाओं को अपनी डाइट में दूध का सेवन करना चाहिए। आप संतृप्त वसा का सेवन कम करने के लिए कम वसा वाले या बिना मलाई के दूध का सेवन करें। अगर लैक्टोज इंटॉलरेंस की परेशानी है तो आप लैक्टोज मुक्त विकल्पों का सेवन करें।