डायबिटीज घटने और बढ़ने के लिए वैसे तो मौसम का कोई प्रभाव नहीं होता है। डायबिटीज बीमारी खराब खानपान और बिगड़ी हुई जीवन शैली का परिणाम है। लेकन गर्मी के मौसम में हम सभी को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। चूंकि इस मौसम में डीहाइड्रेशन के बहुत से मामले आते हैं। गर्मी में प्यास बहुत लगती है और कई बार व्यक्ति अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की जगह कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। दरअसल गर्मी में अनहेल्दी प्रोसेस्ड फूड्स सेहत पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
गर्मी के दिनों शरीर से लगातार पसीना आता है और शरीर में हाइड्रेशन का लेवल डिस्टर्ब होने पर ब्लड शुगर लेवल पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और डायबिटीज पेशेंट के लिए गर्मी का मौसम परेशानी सबब बन जाता है। इसलिए आपको इन टिप्स पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए-
गर्मी के मौसम के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल
आपकी उम्र अगर 40-50 साल है तो फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL हो सकता है। लंच के बाद शुगर लेवल 140 mg/dl से कम होना चाहिए। वहीं डिनर के बाद 150 mg/dl का ब्लड शुगर लेवल सामान्य श्रेणी में आता है। इसी तरह 50-60 साल की उम्र वालों के लिए फास्टिंग शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL होना चाहिए।
बहुत ही आवश्यक कार्य होने पर ही बाहर निकलें
डायबिटीज के मरीजों को घर से बाहर कम ही निकलना चाहिए हो सके तो ज़्यादा से ज़्यादा समय घर पर बिताएं। बाहर जाते समय भी कोशिश करें की त्वचा पर सनस्क्रीन लगाना न भूलें। इसके अलावा बाहर जाते समय कैप, हैट या फिर स्कार्फ का इस्तेमाल करना न भूलें। शरीर को डायरेक्ट धूप से बचाना मकसद है।
फाइबर से भरपूर फल फूड्स खाएं
जब गर्मी के दिनों में मधुमेह रोगियों के भोजन की बात होती है, तो इन्हें विशेष रूप से अधिक फाइबर वाले फूड्स का सेवन करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक फाइबर युक्त भोजन खाने से आपका पेट भी भरा रहेगा और भूख नहीं लगेगी। साथ ही फाइबर ब्लड सर्कुलेशन में शुगर को धीरे-धीरे रिलीज करता है, जिससे ब्लड ग्लूकोज स्पाइक्स की समस्या नहीं होती है।
अधिक से अधिक पानी पियें
गर्मी के मौसम में सभी को भरपूर पानी का सेवन करना चाहिए। इस मौसम में खुद को हाइड्रेट रखना बेहद आवश्यक है। अनहेल्दी पेय पदार्थों का सेवन करने की बजाय पानी की बोतल हमेशा अपने साथ रखें और दिन भर खुद को हाइड्रेट रखें। जब आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं, तो इससे रब्लड शुगर के स्तर को मैनेज करने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे ब्लड सर्कुलेशन से अतिरिक्त टॉक्सिक पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं।