किसी की ठीक से नींद पूरी नहीं हो पाती, तो कोई काम की थकान और ऊर्जा की कमी की शिकायत करता है। आमतौर पर, ज्यादा मेहनत, अधिक काम, तनाव, अपर्याप्त नींद, व्यायाम की कमी या उदासी जैसे सामान्य कारणों से व्यक्ति सुस्ती का अनुभव कर सकता है।
इसे जीवन-शैली में बदलाव, जैसे अच्छी नींद और पोषण के साथ-साथ मनोनुकूल गतिविधियों से आसानी से ठीक किया जा सकता है। इसके अन्य कारण शारीरिक या मनोवैज्ञानिक विकार से जुड़े होते हैं। शोक, डिप्रेशन, खाने के विकार, नींद संबंधी विकार, शराब या नशीली दवाओं के उपयोग जैसे मनोवैज्ञानिक कारण भी सुस्ती का कारण बन सकते हैं।
कारण
सुस्ती का अहसास सुबह शुरू होता है और पूरे दिन बना रहता है। यह अस्थायी हो सकता है या कब्ज, शुष्क त्वचा, नींद की कमी, अवसाद, ठंड के प्रति संवेदनशीलता और वजन बढ़ने जैसी जीवन चक्र में गड़बड़ी के कारण हो सकता है। अगर यह स्थिति सांस की तकलीफ, हृदय या फेफड़ों की समस्या के साथ भी है, तो यह लगातार बनी रह सकती है।
उपाय
अगर सुस्ती आ रही है तो तरल पदार्थ पीएं, न केवल पानी, बल्कि फलों और सब्जियों का रस भी। इससे भरपूर ऊर्जा मिलती है। तंदरुस्ती बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है। थोड़ी-थोड़ी देर में प्रोटीन, मल्टीविटामिन और पोषक तत्त्वों से भरपूर हल्का भोजन करें। सुस्ती के सबसे आम कारणों में से एक नींद की कमी है। इसलिए आपको अच्छी नींद लेने की सलाह दी जाती है।
सुस्ती से उबरने के लिए तनाव से बचने का प्रयास करना चाहिए। तनाव ऐसा हार्मोन पैदा करता है, जो शरीर की हर गतिविधि में बाधा डालता है, जिससे कई तरह के मनोवैज्ञानिक विकार पैदा होते हैं। इस मामले में शारीरिक व्यायाम, सांस लेने के व्यायाम और दवा, योग और तनाव कम करने के अन्य प्राकृतिक तरीकों की सिफारिश की जाती है। अगर तनाव के स्तर को प्राकृतिक उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता, तो चिकित्सक दवा की सिफारिश कर सकता है, जो आपके शरीर पर तनाव के प्रभाव को कम करता है।
अगर रोज सुबह नियमित सैर और व्यायाम की आदत डाल ली जाए, तो सुस्ती की समस्या से काफी हद तक पार पाया जा सकता है। सुबह की सैर से शरीर में आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है। इसलिए तमाम व्यस्तताओं के बीच सुबह की सैर और हल्के व्यायाम के लिए समय जरूर निर्धारित करें।
बचाव
अगर स्वास्थ्य संबंधी किसी गंभीर समस्या की वजह से सुस्ती बनी रहती है, तो इसके लिए चिकित्सा विज्ञान ही कोई उपचार बता सकता है। मगर सामान्य मामलों में जहां इसकी मुख्य वजह खराब जीवन-शैली होती है, वहां दिनचर्या में बदलाव करके इससे बहुत आसानी से पार पाया जा सकता है। आजकल ज्यादातर युवाओं में यह समस्या देखी जाती है, इसलिए कि उन पर काम का दबाव अधिक रहता है और उन्होंने अपने सोने, जागने और भोजन का चक्र गड़बड़ कर रखा है।
देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोते रहना, किसी भी समय खा लेना, खाने का कोई समय तय न होना, बाजार का बना भोजन अधिक खाना आदि कुछ ऐसी वजहें हैं, जिनके चलते युवाओं में शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। देर तक कंप्यूटर पर काम करना या मोबाइल पर लगे रहना, उनकी नींद और भूख को प्रभावित करता है। ज्यादातर युवाओं में सुस्ती की वजह उनकी नींद का चक्र गड़बड़ होना है।
चिकित्सा विज्ञान कहता है कि शरीर को ठीक से काम करने के लिए अच्छी नींद जरूरी है। पर्याप्त नींद न लेना या आवश्यकता से अधिक नींद लेना, अशांत नींद की रात, सोने से पहले उच्च कैफीन का सेवन या लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर काम करना आपकी नींद में व्यवधान पैदा कर सकता है, जिसके चलते सुस्ती आ सकती है।
अच्छी नींद के लिए सोने से तीन घंटे पहले उच्च कैफीन वाले उत्पाद जैसे चाकलेट और काफी के सेवन से बचें, क्योंकि यह आपको रात में जगाए रख सकता है। सोने से पहले कम से कम एक घंटे के लिए अपने मोबाइल को दूर रखें, इससे आपकी आंखें तरोताजा रहती हैं और तनाव कम होता है। एक दिनचर्या बनाने की कोशिश करें, सोने की आदत बनाए रखें और हर दिन एक ही समय पर जागना आपको बेहतर नींद में मदद करता है। रूम फ्रेशनर, खुशबूदार तेल आदि जैसी चीजें सोने में मदद करती हैं। रात को सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से शरीर को आराम मिलता है।
आहार
खराब आहार और खाने की आदतें कमजोरी और थकान का कारण बन सकती हैं, जिससे व्यक्ति सुस्ती का अनुभव कर सकता है। तुरंता आहार और कम पोषक तत्त्वों वाले खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि यह आपके शरीर को अधिक नाजुक और बीमारियों से ग्रस्त कर देता है। कोशिश करें कि मीठा न खाएं। सुस्ती से बचने के लिए संतुलित आहार लें, जिसमें फल और सब्जियां हों।
चीनी से बचने के लिए कृत्रिम मिठास की तुलना में गुड़, खांड आदि का सेवन करें। कभी भी अधिक भोजन न करें, नहीं तो आपका शरीर उसे पचाने में ही थक जाएगा और सुस्ती छाई रहेगी।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)