Can Ayurveda Cure Kidney Problems: आयुर्वेदिक इलाज को आमतौर पर केवल साधारण बीमारियों को ठीक करने से ही जोड़कर देखा जाता है, लेकिन रोचक बात यह है कि इस प्राचीन भारतीय विज्ञान में कई ऐसी पुरानी बीमारियों को भी हमेशा के लिए खत्म करने की क्षमता है। जिसका इलाज अक्सर आधुनिक दवाइयां भी नहीं कर सकती हैं। इन बीमारियों में दमा,आर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आदि शामिल हैं। ऐसे में जब बात किडनी संबंधित बीमारियों की आती है,तो विभिन्न तरह की दवाओं आदि का सेवन करना शुरू कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किडनी संबंधी बीमारियों का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं से भी किया जा सकता है। यह किडनी की समस्याओं को दूर करने के लिए अनुकूल तरीके से काम करता है और खराब हो चुकी किडनी सेल्स की सेहत को दोबारा ठीक करता है। आयुर्वेद में किडनी की अलग-अलग परेशानियों को बढ़ने से रोकने और उन्हें दूर करने की क्षमता है।

आज जब किडनी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो यह प्राचीन इलाज बहुत कारगर साबित हो सकता है। इसमें न सिर्फ किडनी को बीमारियों से बचाने की ताकत है, बल्कि यह किडनी की काम करने की क्षमता को भी पूरी तरह लौटा सकता है। आयुर्वेद की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें एलोपैथिक दवाइयों की तरह साइड-इफेक्ट्स नहीं होते। ऐसे में आयुर्वेदिक डॉक्टर से जानिए क्या आयुर्वेद के द्वारा किडनी से संबंधित बीमारियों का इलाज संभव है कि नहीं।

कर्मा आयुर्वेद के फाउंडर-डायरेक्टर डॉ.पुनीत के अनुसार, आयुर्वेद में किडनी की सेहत सही रखने के लिए औषधीय जड़ी-बूटियों और जीवन-शैली में बदलाव की सलाह दी जाती है। खाने-पीने की आदत सुधारने और योग से भी किडनी की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है। केवल सही प्रोफेशनल की मेडिकल हेल्प से कई लोगों की किडनी को प्राकृतिक तरीके से ठीक किया जा चुका है, जिससे उन्हें डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन जैसे चीरफाड़ वाले तरीकों को नहीं झेलना पड़ा। ज्यादातर मामलों में, किडनी फेल होने से होने वाले नुकसान को कुछ हद तक या पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। किडनी के खराब टिश्यू को आयुर्वेद से सही करके डायलिसिस की जरूरत को कम करना संभव है। कह सकते हैं कि आयुर्वेद का इतना असर होता है कि इसके प्रयोग से किडनी फेल्योर की किसी भी स्थिति से किडनी को वापस स्वस्थ करने की बहुत अधिक संभावना बनी रहती है।

 जड़ी-बूटियों द्वारा किडनी का इलाज

किडनी के आयुर्वेदिक इलाज के लिए अजवाइन, वरुण और अजमोद जैसी जड़ी- बूटियों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इनकी मदद से छोटे किडनी स्टोन्स को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। कई आयुर्वेदिक इलाजों का आधार शरीर से दोष (असंतुलन) दूर
करना और किडनी को प्राकृतिक रूप से सही करना होता है। 

आयुर्वेदिक इलाज हर मरीज की स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इसलिए मरीज के शरीर में असंतुलन की स्थिति के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग तरह से इलाज की योजना बनाई जाती है। इसी के अनुसार, उसे रहन-सहन और खाने-पीने के नियमों का पालन करना पड़ता है।

पंचकर्म द्वारा किडनी का इलाज

डॉ.पुनीत के अनुसार, आयुर्वेदिक इलाज से शरीर के अंदर और बाहर यानी दोनों जगहों से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसमें साफ-सफाई के कई तरीके शामिल हैं, जैसे -विरेचन (शुद्धिकरण), वस्ति क्रिया (एनीमा) और नास्य (नाक के माध्यम से औषधीय तेलों का प्रयोग)। हालांकि, इन सभी तरीकों का प्रयोग केवल ट्रेंड प्रोफेशनल के साथ ही करना चाहिए। 

जीवन-शैली में बदलाव और योग

शरीर की सर्कैडियन रिद्म (शरीर में विभिन्न गतिविधियों का चक्र) का किडनी की बीमारियों पर बहुत असर होता है। अगर आप चाहते हैं कि किडनी आराम से और अच्छे तरीके से काम करे,तो उसके लिए सोने-जागने का समय सही होना जरूरी है। हर व्यक्ति को बिना रुकावट कम-से-कम छह घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।

आयुर्वेद कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने रोजमर्रा के रूटीन में योग को शामिल करना चाहिए। योगासनों से शरीर के तनाव को कम करने में मदद मिलती है और खासतौर पर पेट से जुड़े अंग बेहतर काम करने लगते हैं, जिससे किडनी भी स्वस्थ बनी रहती है। इसके अलावा, आयुर्वेदिक इलाज का अधिकतम नतीजा पाने के लिए स्मोकिंग और अल्कोहल की आदत को छोड़ देना चाहिए।

खाने-पीने में बदलाव से किडनी रहेगी हेल्दी

आयुर्वेदिक डॉ. पुनीत के अनुसार, खाने-पीने की चीजों और आदतों में थोड़ा-सा बदलाव करके किडनी को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। बैलेंस्ड डाइट, किडनी की कई परेशानियों को दूर रखने का बेहतर तरीका है। बहुत ज्यादा एनिमल-प्रोटीन लेने की बजाय, लोगों को अपने खाने में प्लांट-प्रोटीन शामिल करना चाहिए। यहां लोगों को बैलेंस बनाने के लिए यह देखना चाहिए कि उन्हें अलग-अलग माध्यमों से न्यूट्रिशन की डेली डोज मिल सके। उदाहरण के लिए, ऐसा ही एक तरीका, हफ्ते में एक बार खाने में कुलथी दाल को शामिल करना है। इस छोटी-सी आदत से किडनी की सेहत बहुत सुधर जाएगी। क्योंकि यह दाल किडनी स्टोन को गलाने वाली (लीथोलिटिक) और यूरिन की मात्रा बढ़ाने वाली (डाईयूरेटिक) होती है।

केवल रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक डॉक्टर की मदद लेना पारंपरिक आयुर्वेदिक इलाज लेना आम बात है, लेकिन इसके तरीकों से खुद इलाज करने की सलाह कभी नहीं दी जाती। किडनी के मरीजों को केवल रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास जाना चाहिए। झोलाछाप डॉक्टरों के जाल में नहीं फंसना चाहिए। कौन झोलाछाप है और कौन असली, इसकी पहचान करने के लिए मेडिकल प्रैक्टिशनर से सर्टिफिकेट्स दिखाने के लिए कह सकते हैं।