Mulethi Health Benefits: अस्थमा एक सांस संबंधी क्रॉनिक डिजीज है जो सांस नली में सूजन होने के कारण लोगों को अपने चपेट में लेता है। इस बीमारी में विंड पाइप म्यूकस और सॉफ्ट पॉलेन ग्रेन से भरकर संकुचित हो जाता है जिस वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। छाती में भारीपन, सांस लेते वक्त आवाज आना, खांसी, घरघराहट, ये सब अस्थमा के मुख्य लक्षण हैं। भारत में इस बीमारी के कई रोगी हैं। अस्थमा से बचने के लिए धूल और गंदगी से दूर रहने की सलाह तो दी ही जाती है, साथ ही कई चीजों से परहेज भी करना पड़ता है। हालांकि, आयुर्वेद में मौजूद हर्ब्स से आप अस्थमा के प्रभाव को कम कर सकते हैं। ऐसे ही हर्ब्स में से एक है मुलेठी जिसे आयुर्वेद की भाषा में यस्तीमधु कहा जाता है, अस्थमा को कम करने में सहायक है।
मुलेठी कैसे है अस्थमा कम करने में कारगर: ‘हर जिंदगी’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार अस्थमा के मरीजों को मुलेठी का इस्तेमाल करने से इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। ये रिस्पिरेट्री ट्रैक्ट को सुचारू रूप से चलाने और सांस को छोड़ने में होने वाली तकलीफ को दूर करने में सक्षम है। मुलेठी में ग्लिसराइजिन एसिड (Glycerizine acid) अधिक मात्रा में मौजूद होता है जो कि अस्थमा के मरीजों को दूसरे एलर्जियों से बचाने में सहायक होता है।
कैसे करें इस्तेमाल: खबर के अनुसार, आप मुलेठी की चाय बनाकर पी सकते हैं। बर्तन में आधा चम्मच अदरक और एक चम्मच मुलेठी को मिलाकर चाय बना लें। इसे पीने से अस्थमा के लक्षणों को कम करने में हेल्प मिलती है। इसके अलावा, आप चाहें तो मुलेठी के डंठल को चूस भी सकते हैं। वहीं, मुलेठी को पुष्करमूल पाउडर और शहद में मिलाकर सेवन करने से भी अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
क्या हैं अन्य फायदे: ‘आयुर्टाइम्स’ में छपी खबर के मुताबिक मुलेठी हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सक्षम है। मुलेठी के सेवन से शरीर में सीरम कोलेस्ट्रॉल और हेपेटिक कोलेस्ट्रॉल कम होता है। इसके पीछे ये वजह बताई जाती है कि मुलेठी खाने से कोलेस्ट्रॉल बाईल जूस में तब्दील हो जाते हैं। इसके अलावा, मुलेठी बालों का झरना भी रोकता है। वहीं, त्वचा रोग में भी यह लाभकारी है और इससे स्किन में होने वाली खुजली से भी राहत मिलती है। मुलेठी को चूसने से खांसी और गले का रोग भी दूर होता है, साथ ही साथ इससे मुंह के छाले भी जल्दी ठीक होते हैं।