तंबाकू का उपयोग दुनिया में अब तक के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरो में से एक है। धूम्रपान या तंबाकू का अन्य माध्यम से सेवन कैंसर होने का प्रमुख कारण है। जबकि धूम्रपान के चलते ब्लड कैंसर किडनी और ब्लैडर, छोटी और बड़ी आंत, मुंह तथा गले का कैंसर, सांस की नली और फेफड़े का कैंसर, लिवर और बच्चेदानी तथा अमूमन शरीर के किसी भी अंग में कैंसर होने का प्रमुख कारण बनता है।
अगर किडनी के कैंसर की बात करें तो शोधों से यह साबित हुआ है कि सिगरेट पीने वालों में किडनी का कैंसर होने की संभावना 1.36 गुना अधिक होती है। जबकि सिगरेट पीने वालों में कैंसर की एडवांस स्टेज मिलने की संभावना ज्यादा होती है। दुनिया भर में हर साल लगभग 400000 नए किडनी के कैंसर का पता चल रहा है। वहीं हर साल लगभग 170000 मौतें किडनी के कैंसर के चलते होती हैं। धूम्रपान फेफड़ों से शुरू होता है जहां धुआं श्वास द्वारा लिया जाता है। धुआं फेफड़ों, रक्त प्रवाह के माध्यम से किडनी तक पहुंच जाता है, जहां ट्यूमर का पता लगने से पहले काफी बड़ा हो सकता है।
नेफ्रोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ तेजिंदर सिंह चौहान का कहना है कि, “जब तक किसी मरीज को किसी प्रकार का दर्द या पेशाब में खून नहीं आता है, तब तक यह उनको पता में नहीं चलता है। अक्सर रोगी पेट में दर्द के साथ अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में आता है। यदि आप धूम्रपान छोड़ देते हैं, तो इस स्थिति को विकसित करने का आपका जोखिम काफी कम हो सकता है।”
नोएडा के फोर्टिस हॉस्पीटल के नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट की एडिशनल डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ अनुजा पोरवाल ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि, ”धूम्रपान कई रोगों को जन्म देता है। हाल के अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि किडनी रोगों में धूम्रपान की काफी भूमिका है। धूम्रपान न सिर्फ किडनी रोगों के पनपने बल्कि पहले से मौजूद किडनी की बीमारियों को और गंभीर बनाने में भी योगदान करता है।”
आपको बता दें कि हाल के कुछ शोधकार्यों से यह संकेत भी मिलें हैं कि धूम्रपान का संबंध किडनी कोशिकाओं के कैंसर से होने वाली मौतों से भी है यानि धूम्रपान न सिर्फ गुर्दा कोशिकाओं के कैंसर का कारण है बल्कि यह कैंसर को अधिक गंभीर बनाने में भी भूमिका निभाता है और यही वजह है कि धूम्रपान करने वाले लोगों में यह रोग काफी गंभीर रूप में सामने आता है।
किडनी कैंसर और ब्लड प्रेशर के बीच संबंध
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम के यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट के एग्जीक्युटिव डायरेक्टर डॉ अनिल मंधानी ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि, “किडनी कैंसर वयस्कों को प्रभावित करने वाले 10 प्रमुख कैंसर रोगों में से एक है। दुर्भाग्यवश, भारत में जागरूकता की कमी और अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं की कमी के चलते, मरीज़ों के किडनी कैंसर से ग्रस्त होने की जानकारी काफी एडवांस स्टेज में मिलती है।”
डॉक्टर मंधानी ने कहा, “इस विषय पर मेरे शोध से यह सामने आया है कि अमेरिका में लगभग 90% किडनी कैंसर शुरुआती चरणों में जबकि भारत में, केवल 15 से 20% कैंसर ही शुरुआती अवस्था में पकड़ में आते हैं। यदि किडनी कैंसर के बारे में शुरू में पता चल जाए तो उसका उपचार किया जा सकता है।”
ऐसे में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यही संदेश है कि अगर आप डॉक्टर से परामर्श के लिए जा रहे हैं या किसी भी प्रकार का लैब टैस्ट करा रहे हैं, तो अपने पेट की अल्ट्रोसोनोग्राफी भी करवा लें। इस जांच में, किडनी कैंसर के बारे में शुरू में पता चल जाता है और इस तरह किडनी को बचाया जा सकता है। यदि बिना किसी लक्षण के किसी कैंसर का निदान होता है तो उसके उपचार की संभावना भी बेहतर होती है।