खराब डाइट और बिगड़ती लाइफस्टाइल का असर सिर्फ हमारी सेहत पर नहीं, बल्कि हड्डियों पर भी गहराई से पड़ता है। कमजोर हड्डियां उठते-बैठते दर्द, जकड़न और सूजन का कारण बन जाती हैं, जिससे रोजमर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होती है। हड्डियों में दर्द के प्रमुख कारणों में कैल्शियम और विटामिन D की कमी, विटामिन B12 की कमी, आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस, लंबे समय तक एक ही जगह बैठना और शारीरिक निष्क्रियता शामिल हैं। इसके अलावा, इंफेक्शन या इंफ्लेमेशन भी हड्डियों में संक्रमण (Osteomyelitis) या सूजन का कारण बन सकता है।
अगर आप भी हड्डियों के दर्द से परेशान हैं, तो अपनी डाइट में औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी ज़रूर शामिल करें। हल्दी एक ऐसा मसाला है जो कई बीमारियों से बचाव करता है। इसमें मौजूद सक्रिय यौगिक करक्यूमिन में सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो हड्डियों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। अगर कच्ची हल्दी का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है और पाचन तंत्र भी बेहतर रहता है।
घुटनों के दर्द से राहत पाने के लिए सोशल मीडिया पर कई वीडियो और रील्स में दावा किया जाता है कि हल्दी से कार्टिलेज यानी जोड़ की हड्डियों के बीच का कुशन मजबूत होता है और दर्द से राहत मिलती है। लेकिन क्या वाकई हल्दी ऐसा असर करती है? इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने बात की KIMS हॉस्पिटल, ठाणे में कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट डॉ. सरंग देशपांडे से। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि हल्दी कैसे जोड़ों के दर्द का इलाज करती है।
दर्द कम करती है हल्दी
डॉ. देशपांडे के अनुसार, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) में मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह जोड़ों में सूजन को कम करती है, जो अक्सर ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) से जुड़ी दर्द और जकड़न की मुख्य वजह होती है। हालांकि, हल्दी नए कार्टिलेज का निर्माण नहीं करती और न ही पुराने कार्टिलेज को रिपेयर कर सकती है, लेकिन यह आगे होने वाले नुकसान को रोक सकती है और असुविधा को काफी हद तक कम कर सकती है।
हल्दी कैसे सूजन करती है कंट्रोल
डॉ. देशपांडे बताते हैं कि हल्दी शरीर में सूजन पैदा करने वाले रास्तों (Inflammatory Pathways) को ब्लॉक करती है, जो कई दर्द निवारक दवाओं का भी टारगेट होता है। अगर इसे रोजमर्रा की डाइट या सप्लीमेंट के रूप में लिया जाए तो यह सूजन, जकड़न और दर्द को कम कर सकती है। खासतौर पर आर्थराइटिस के शुरुआती चरण या उम्र से जुड़ी हल्की जोड़ की तकलीफों में हल्दी काफी मददगार साबित हो सकती है। डॉ. देशपांडे का कहना है कि हल्दी जितनी फायदेमंद है, उतनी ही ज़रूरत मूवमेंट, मसल स्ट्रेंथ और हाइड्रेशन की भी होती है। जितना आप चलेंगे, जोड़ उतने बेहतर रहेंगे। पर्याप्त पानी पीने से जोड़ों का लुब्रिकेशन (Synovial Fluid) सही बना रहता है और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से घुटनों पर दबाव कम होता है।
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