किचन में मौजूद मसालों का सेवन सदियों से कई बीमारियों का इलाज करने में किया जाता रहा है। मसालों में हल्दी और काली मिर्च दो ऐसे मसाले है जिनका सेवन खाने में स्वाद और रंग को बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। ये दोनों मसाले हर रसोई में आसानी से मिल जाते हैं और जिन्हें न केवल भोजन का स्वाद और रंग बढ़ाने के लिए बल्कि शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में हल्दी को एक शक्तिशाली एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और हीलिंग एजेंट माना गया है, वहीं काली मिर्च पाचन सुधारने, भूख बढ़ाने, बलगम कम करने और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने के लिए जानी जाती है।

पुराने समय में जब दवाएं उपलब्ध नहीं थीं, तब इन मसालों का प्रयोग सर्दी-जुकाम, खांसी, पाचन संबंधी समस्याएं, चोट, संक्रमण, स्किन रोग और जोड़ों के दर्द जैसी कई बीमारियों के इलाज में किया जाता था। हल्दी और काली मिर्च दोनों का अगर एक साथ सेवन किया जाए तो हड्डियों और जोड़ों के दर्द और सूजन से निजात मिलेगी। ये मसाले जोड़ों की सेहत को सपोर्ट करते हैं, सूजन कम करते हैं और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों मसालों को कॉम्बिनेशन में यूज करने से हड्डियों और जोड़ों पर कैसा असर होता है।

हल्दी और काली मिर्च कैसे जोड़ों की सूजन और दर्द कंट्रोल करते हैं?

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन और काली मिर्च में पाए जाने वाले पाइपरीन का कॉम्बिनेशन शरीर की सूजन कम करता है। शोध बताते हैं कि पाइपरीन करक्यूमिन के अवशोषण को कई गुना बढ़ा देता है, जिससे हल्दी के फायदे और भी प्रभावी हो जाते हैं। हल्दी और काली मिर्च जोड़ों की सेहत को सपोर्ट करते है, सूजन कम करते हैं और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते है। हालांकि करक्यूमिन का एक बड़ा नुकसान यह है कि यह शरीर में आसानी से अवशोषित नहीं होता।

काली मिर्च में मौजूद पिपरिन एक ऐसा यौगिक है जो करक्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे हल्दी के गुण शरीर में अधिक प्रभावी तरीके से पहुंचते हैं। पिपरिन खुद भी सूजन कम करने में मदद करता है। हल्दी और काली मिर्च को साथ में लेने से शरीर इन दोनों के औषधीय गुणों का पूरा फायदा उठा पाता है। इन दोनों मसालों को एक साथ कॉम्बिनेशन में खाने से जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत मिलती है। इस मसाले का सेवन करने से जोड़ों की सूजन, अकड़न और दर्द में राहत मिलती है। करक्यूमिन एक एंटीऑक्सिडेंट की तरह भी काम करता है, जो कार्टिलेज को नुकसान से बचाकर अर्थराइटिस की बीमारी को बढ़ने से रोकता है।

 दूसरी तरफ काली मिर्च में मौजूद पिपरिन प्राकृतिक पेन-रिलीवर की तरह काम करता है और दर्द की संवेदनशीलता को कम करता है। पिपरीन करक्यूमिन के अवशोषण को 20 गुना तक बढ़ा देता है, जिससे हल्दी का असर और भी तेजी से और गहराई से शरीर में काम करता है। दोनों मसाले साथ मिलकर यूज करने से क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन कंट्रोल रहती हैं और जोड़ों की मूवमेंट सुधारती हैं, जिससे आर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।

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