पाइल्स (Hemorrhoids) एक आम हेल्थ प्रॉब्लम है जिसमें गुदा (anus) और मलाशय (rectum) के आसपास की नसों में सूजन के कारण होती है। सूजन के कारण एनस के आस-पास गांठ या उभार बन जाते हैं जिसे हिंदी में बवासीर भी कहा जाता है। बार-बार कठोर मल पास करने से गुदा की नसों पर दबाव पड़ता है जिससे पाइल्स की बीमारी हो सकती है। पाइल्स की बीमारी के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे लम्बे समय तक बैठना, प्रेगनेंसी, भारी वजन उठाने से गुदा की नसों पर दबाव बढ़ना, अनियमित जीवनशैली और डाइट भी पाइल्स का कारण बनती है।

पाइल्स के लक्षणों की बात करें तो गुदा क्षेत्र में दर्द और जलन होना, मल त्याग के दौरान खून आना, एनस के पास सूजन या गांठ महसूस होना है। पाइल्स आमतौर पर जीवनशैली और घरेलू उपायों से कंट्रोल की जा सकती है, लेकिन गंभीर या लगातार समस्याओं में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

आयुर्वेद में हर्ब्स का उपयोग सदियों से स्वास्थ्य सुधार और बीमारियों के उपचार में किया जाता रहा है। इन प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का सेवन न केवल शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखता है, बल्कि रोगों से बचाव और इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद करता है। आयुर्वेदिक हर्ब्स शरीर को डिटॉक्स करने, पाचन क्रिया सुधारने और कमजोरी दूर करने में कारगर हैं।

त्रिफला, आयुर्वेद का प्रसिद्ध मिश्रण है जो तीन फलों  आंवला, हरड़ और बहेड़ा  से बनता है। यह मिश्रण पाचन शक्ति बढ़ाता है, कब्ज और पाइल्स के लक्षणों को कम करता है, और खून को शुद्ध करता है। त्रिफला का चूर्ण या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर सुभाष गोयल के अनुसार त्रिफला कब्ज और पाइल्स के रोगियों के लिए बेहद लाभकारी है। इसका सेवन 1:2:4 के अनुपात में करना चाहिए। एक भाग हरड़, दो भाग बहेड़ा और चार भाग आंवला। इस मिश्रण का रोजाना एक चम्मच लेना पर्याप्त होता है। आइए जानते हैं कि त्रिफला का सेवन कैसे पाइल्स का इलाज है।

त्रिफला का सेवन कैसे पाइल्स का इलाज है?

त्रिफला चूर्ण पाइल्स के इलाज में बेहद प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय माना जाता है। यह तीनों फल पाचन तंत्र को सुधारने और कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं। पाइल्स का मुख्य कारण कब्ज और मल त्याग में कठिनाई है। त्रिफला चूर्ण कब्ज को कम करता है और मल को नरम बनाकर गुदा की नसों पर दबाव घटाता है, जिससे सूजन और दर्द कम होता है।

इसके अलावा, त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो गुदा और मलाशय की सूजन को कम करते हैं और घावों को जल्दी ठीक करते हैं। यह रक्त को भी शुद्ध करता है, जिससे रक्तस्राव और जलन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

त्रिफला चूर्ण को नियमित रूप से लेने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, कब्ज दूर होती है और पाइल्स की समस्या धीरे-धीरे कंट्रोल में आ जाती है। इसे पानी के साथ या हल्की गर्म दूध में मिलाकर लिया जा सकता है। नियमित और संतुलित खुराक से त्रिफला प्राकृतिक तरीके से पाचन और पाइल्स को कंट्रोल करता है।

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