वैज्ञानिकों ने चूहे में ‘स्टेम सेल’ कोशिकाओं का प्रतिरोपण किया है और अल्जाइमर रोग जैसी मस्तिष्क की असमान्यता में कमी पाई है। अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के नेतृत्व में टीम ने रक्त ‘स्टेम’ और जनक कोशिकाओं को चूहों में प्रतिरोपित किया और प्रभावी ढंग से तंत्रिकीय (न्यूरल) कोशिका ‘माइक्रोग्लिया’ को हटाया, जो रोग की वजह से चूहे में निष्क्रिय हो जाती है।
स्टैनफोर्ड में पैथोलाजी के प्राध्यापक मेरियस वर्निग ने कहा, ‘यह कोशिका उपचार अनूठा है क्योंकि ज्यादातर शोधार्थी अल्जाइमर के इलाज के लिए दवा या इंजेक्शन ढूंढने पर काम करते हैं।’ नतीजे अगस्त में सेल स्टेम सेल पत्रिका में प्रकाशित किए गए। अल्जाइमर पर व्यापक शोध के बावजूद, ‘न्यूरोडीजेनेरेटिव’ विकार होने के कारण और इसके विकसित होने के तरीके बखूबी नहीं समझे जा सके हैं।
न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग तब होते हैं जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं समय के साथ काम करना बंद कर देती हैं और आखिरकार मृत हो जाती हैं। अधिकांश उपचार अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में पाए जाने वाले ‘अमाइलाइड प्लाक’ के जमाव को साफ करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये प्लाक केवल अल्जाइमर के पैथोलाजी के संकेत हैं या सीधे तौर पर डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) का कारण बन रहे हैं।
गैर-पारिवारिक अल्जाइमर रोग, जो वृद्धावस्था में होता है एवं वंशानुगत जीन संस्करण से उत्पन्न नहीं होता है, और माइक्रोग्लिया में विभिन्न उत्परिवर्तनों (म्यूटेशन) के बीच एक स्पष्ट संबंध है। माइक्रोग्लिया कोशिकाएं अन्य मस्तिष्क कोशिकाओं को आक्रमणकारियों से बचाती हैं और सफाई दल के रूप में कार्य करती हैं, जो मस्तिष्क में जमा होने वाले चयापचय कचरे को बाहर निकालती हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि माइक्रोग्लिया में कुछ आनुवंशिक विविधताएं अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम के साथ एक मजबूत संबंध दिखाती हैं।
इसी तरह के एक सहसंबंध में टीआरईएम2 नामक जीन शामिल है, जो माइक्रोग्लिया न्यूरोडीजेनेरेशन का पता लगाने और उसे संबोधित करने में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। वर्निग ने कहा कि टीआरईएम2 के कुछ आनुवंशिक स्वरूप अल्जाइमर रोग के लिए सबसे मजबूत आनुवंशिक जोखिम कारकों में शामिल हैं। शोधार्थियों ने पाया कि प्रतिरोपित कोशिकाओं ने रक्त प्रणाली को पुनर्गठित किया और उनमें से कुछ कुशलतापूर्वक प्राप्तकर्ताओं के मस्तिष्क में शामिल हो गईं और ऐसी कोशिकाएं बन गईं जो माइक्रोग्लिया की तरह दिखती और व्यवहार करती थीं।
वर्निग ने कहा, ‘हमने प्रदर्शित किया कि मस्तिष्क के अधिकांश मूल माइक्रोग्लिया को स्वस्थ कोशिकाओं द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिससे सामान्य टीआरईएम2 गतिविधि बहाल हो गई।’ उन्होंने कहा, ‘असल में, प्रतिरोपित चूहों में हमने अमाइलाइड प्लाक के जमाव में स्पष्ट कमी देखी, जो आमतौर पर टीआरईएम2 की कमी वाले चूहों में देखी जाती है।’