देश के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में 70 वर्षो के निवेश के बावजूद करीब 70 फीसदी भारतीय आबादी को निजी क्षेत्र की ओर रुख करना पड़ता है। आयुष्मान भारत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) इंदु भूषण ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी के फ्लैगशिप स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम पर एक बहस में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि आयुष्मान पहल न केवल किफायती स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराएगी, बल्कि रोजगार का सृजन भी करेगी और भारत के टियर-2 व टियर-3 शहरों में स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी सुविधाओं की रचना भी करेगी।
गोवा प्रबंधन संस्थान (जीआईएम) द्वारा पणजी में आयोजित बहस में सरकार, उद्योग और शैक्षणिक समुदायों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
उन्होंने कहा, “भारत बीते 70 वर्षो से स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में निवेश कर रहा है, लेकिन अभी भी 70 फीसदी आबादी की जरूरत निजी क्षेत्र द्वारा ही पूरी की जा रही है। इसी तरह गरीबी कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। स्वास्थ्य देखभाल व्यय के कारण प्रत्येक वर्ष करीब छह करोड़ लोग गरीबी में धंस जाते हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, हालांकि सरकार स्वास्थ्य देखभाल पर अभी भी कम खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत इस विरोधाभास को हल करेगा।
इंदु भूषण ने कहा, “इस महत्वकांक्षी कार्यक्रम का मकसद उन लोगों को किफायती स्वास्थ्य देखभाल पहुंचाना है, जिनको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। यह कार्यक्रम रोजगार पैदा करेगा और टियर-2 व टियर-3 शहरों के अस्पतालों सहित स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी सुविधाओं की रचना करेगा।”
आयुष्मान भारत योजना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत आती है।